पूजा में कैसे करें चन्दन का इस्तेमाल [Chandan puja ke liye]


वैसे तो पूजा में हम चन्दन के इस्तेमा करते ही है पर आज हम यहाँ आप को बाटेंगे की सही तरीके से पूजा के समय किस तरह से करें चन्दन का इस्तेमाल| चंदन को सबसे शीतल और मनको शांत करनेवाला मन जाट है इसलिए हम ललाट पर चन्दन का टिका लगते हैं| चन्दन के लेप अगर हल्दी के साथ लगाकर स्नान करें तो उससे चहेरे पर भी एक अच्छा सा निखार आ जाता है| पर पूजा के लिए हर तरह के अलग अलग चन्दन इस्तेमाल किया जाता है| वैसे तो चन्दन तीन तरह में मूल होते हैं १) श्वेत चन्दन (सफ़ेद रंग के चन्दन) २) हरि चंदन (पीले रंग के चन्दन) ३) रक्त चन्दन (लाल रंग के चन्दन)| 

हर चन्दन हर पूजा के लिए नहीं होती है| जैसे की हम श्वेत चन्दन से ही ज्यादातर पूजा करते हैं कुछ जगह पर केवल हरिचंदन से यह पूरी तरह से गलत नहीं है पर पूरी तरह से सही प्रक्रिया भी नहीं है| जैसे भगवान शिव और दूसरे ज्यादातर देवता के पूजा में और सरस्वती पूजा में श्वेत चन्दन ही चढ़ाया जाता है| हरी चन्दन विष्णु और लक्ष्मी पूजन में चढ़ाया जाता है और शालिग्राम पूजा में खास कर| श्री हरि विष्णु के किसी भी रूप की पूजा में केवल हरि चन्दन और तुलसी पत्र से ही पूजा की जाती है| अम्बे माँ की पूजा में रक्त चन्दन इस्तेमाल किया जाता है और रक्त पुष्प के साथ रक्त चन्दन सहित यह पूजा होती है पर अगर वैष्णव मत के साथ माँ अम्बे की पूजा करना चाहे तो उसमे हरि चन्दन से ही पूजा होती है| 

ध्यान रखने वाली बात यह है की रक्त चन्दन और श्वेत चन्दन हर पूजा में इस्तेमाल नहीं करना चाहिए अगर आप कहें तो हरिचंदन को हर पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं| श्वेत चन्दन सबसे ज्यादा मिलता है इसलिए हम उसका इस्तेमाल करते हैं हर पूजा में पर यह सही तरीका नहीं है| कोशिश करें की हरिचंदन के एक लकड़ी अपने घर पे रखने के लिए पर अगर आपको फिर भी न मिले तो आप गंध पुष्प चढ़ाने के लिए श्वेत चन्दन इस्तेमाल कर सकते हैं पर रक्त चन्दन केवल देवी पूजा में ही इस्तेमाल करें और श्री गणेश पूजा में| 

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