संदेश

फ़रवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शिवपूजा धूप निवेदन और आरती मंत्र [Shivratri Dhoop aur Aarti puja Mantra]

चित्र
जल शुद्धि मंत्र - गंगे च यमुना चैव गोदावरी सरस्वती|                     नर्मदे सिंधु कावेरी जलेहस्मिन सन्निधिं कुरु|| शिवपूजा के मूल मंत्र - ॐ नमः शिवाय माँ पार्वती पूजा मूल मंत्र - ॐ माँ गौरी देव्यै नमः धूप निवेदन मंत्र - एतस्मै धूपाय नमः|                          एते गन्धपुष्पे धूपाय नमः|                        एते गन्धपुष्पे एतधिपतय देवाय श्री विष्णवे नमः|                         एते गन्धपुष्पे एतत सम्प्रदानय ॐ नमः शिवाय|                           ॐ वनस्पति रसो दिव्य गन्धाढ्यः सुमनोहरः |                             मया निवेदिता भक्त्या धूपोहयं प्रतिगृह्यताम||         ...

महाशिवरात्रि पर धूप अर्चन और आरती कैसे करें [Shivratri Dhoop Archan aur Aarti]

चित्र
शिवपूजा बहुत ही सरल और सहज पूजा है जिसके लिए आप को बहुत सारे चीजों की कोई जरुरत नहीं होती है बस भावना ही काफी होती है शिवरात्रि पूजा के लिए| कैसे शिवरात्रि में धूप पूजन आरती करें इसी बारे में हम आपसे यहाँ पर बात करेंगे| एक बात आपको बता दे पहले ही की धूप पूजा के लिए कोई विशेष प्रकार की वास्तु की जरुरत नहीं होती है नहीं भोग प्रसाद की जरुरत होती है| धूप पूजा के लिए धुनुची धूप ही जरुरी होती है इसलिए आप अगर धूप पूजा के माध्यम से सहज और सरल पूजा करना कहते हैं तो पीतल के दो धुनुची अपने पास जरूर रखे| पीतलके दो धुनुची में धूप-गुग्गुल जलाकर ही धूप पूजन और आरती करनी होती है| वैसे दोनों धुनुची रखना सही होता है पर अगर आप दोनों धुनुची नहीं जला पाते हैं तो भी कोई बात नहीं एक ही पीतल के धुनुची जलाय और उसी से ही धूप अर्चन और आरती करें| तो अब आइये जानते है शिवरात्रि धूप अर्चन आरती के बारे में| सबसे पहले एक चौकि या फिर मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की फोटो रखे अगर आपके पास शिवलिंग है तो आप वह भी रख सकते हैं पर अगर आपके पास शिवलिंग नहीं है तो केवल ताम्रपात्र भी आप फोटो के सामने रख सकते हैं| पूज...

शिवरात्रि में आरती करने के लिए सामग्री [Shivratri Puja Samagri]

चित्र
वैसे तो भगवन शिव आशुतोष है इसलिए उनके पूजा में बहुत से सामग्री नहीं बल्कि भावना की जरुरत ज्यादा होती है| पर फिर भी हम कहते है की इस दिन भगवन भोलेनाथ की सेवा करें| पर आजकल हमारे पास समय की कमी है घर पे पूजा तो हम कर लेते है पर ज्यादा सामग्री खरीदना या फिर बहुत कुछ आयोजन करना आसान नहीं रहता है| इसलिए सबसे अच्छा होता है धूप अर्चन आरती के साथ हम सहज पूजा करें| अगर कोई बहुत से उपचार और उपकरण के साथ पूजा कर पाते है तो वह विशेष पूजा पद्धति पुष्तक के सहारे पूजा कर सकते हैं या फिर किसी पुरोहित की सहायता ले सकते हैं| धूप अर्चन और आरती सहज और सरल पूजा पद्धति है जो कोई भी अपने घर पर आसानी से कर सकते हैं| निचे आरती के लिए दिए गए सामग्री के सूची दी जा रही है - १. गंगा चल २. चन्दन जल ३. कपूर जल ४. पंचामृत ५. बेलपत्ते ६. चन्दन ७. पुष्प ८. धतूरा पुष्प ९. अक्षत १०. धूप ११. गुग्गुल १२. कपूर १३. धुनुची १४. पंचप्रदीप १५. घी या तिल का तेल  १६. बाती १७. आचमन पात्र और आचमनी १८. मिश्री के शरबत १९.  नारियल २०. कमल के फूल (संभव हो तो) २१. रुद्राक्ष के माला (जाप करने के लिए)

सरस्वती पंचोपचार पूजा मंत्र और आरती मंत्र [Maa Saraswati Puja Aarti]

चित्र
सरस्वती पूजा हो या किसी भी भी पूजा उसमे मन्त्रों की जरुरत इसलिए होती है ताकि हम अपने पूजा को पूर्णता दे पाएं| पर ऐसा कुछ नहीं है की अगर आप अपने मंत्र नहीं बोल पाएंगे तो आपके पूजा सम्पूर्ण नहीं मानी जाएगी| मंत्र भावना के प्रतिक मात्रा है इसलिए अगर आप मंत्र को हिंदी अनुवाद के साथ भी उच्चचं करते हुए निवेदन करेंगे तो भी कोई समस्या नहीं है| आइये हम पंचोपचार पूजा के मन्त्रों के बारे में पहले जान लेते हैं| एष गन्धं ॐ सरस्वती देव्यै नमः (श्वेत चन्दन) एतद पुष्पं ॐ सरस्वती देव्यै नमः (पीले और श्वेत पुष्प) एतद अक्षत ॐ सरस्वती देव्यै नमः (पीले चावल या अक्षत) एष धूपः  ॐ सरस्वती देव्यै नमः (धुनुची धूप) एष दीप ॐ सरस्वती देव्यै नमः (घी दीपक) धूप पूजा और पंचोपचार पूजा में ऊपर के क्रम में ही पूजा कर सकते हैं अगर आप नैवेद्य अलग से और साथ में पनार्थ देना कहते हैं तो उसके लिए कहे 'एतद नैवेद्य पानार्थ जलं ॐ सरस्वती देव्यै नमः'| नैवेद्य में ताम्बूल यानि पान जरूर रखे अगर आप नैवेद्य अलग से चढ़ा रहे हैं| केवल नारियल चढ़ाकर और कपूर जल चढ़ाकर भी आप पूजा कर सकते हैं| माँ सरस्वती की धुनुची धूप आ...

अमावस्या में करें माँ काली की गुग्गुल धूप आरती [KaliPuja Guggul Dhoop Aarti]

चित्र
काली पूजा करने के लिए हम कई तरह के भय अपने मन में ही पालते रहते हैं पर सच कहे तो कालीपूजा एक बहुत ही सरल और सहज पूजा है, क्यों के माँ काली पूजा में इस्तेमाल किये जाने वाले उपचार को नहीं पूजा के भावना को देखती है| इसमें कई तरह के वस्तु इस्तेमाल करने को कहा गया है और कुछ निषेध भी किया गया है पर माँ के धुप पूजन आरती में कुछ विशेष नियम नहीं होती हैं केवल माँ की आराधना होती हैं मन से| वैसे काली मूर्ति काळा रंग के हैं इसके कारन कहाँ जाता है कि माँ हमारी सारी कालिमा हर लेती है इसलिए माँ काली काले रंग अपने शरीर पर धारण किये हुए हैं| माँ के गले में 51 मुंडमाला को हमारे वर्ण माला के इक्कावन वर्ण मन गया हैं और जिव के विना वर्ण उच्चारण नहीं किये जा सकते इसलिए माँ ने ऐसे रूप धारण किये हैं| इसलिए माँ के इस रूप से न डरके मन से उनकी प्रार्थना करें और आरती करें| माँ को अगर आप घर पे पूजा करते हैं तो कलश और छवि में ही पूजा करें जो कि सबसे उत्तम मन जाता है| दो धुनुची धूप गुग्गुल के साथ माँ के सामने जलकर रखे| ध्यान रखे कि माँ को धूप सबसे ज्यादा प्रिय हैं इसलिए गुग्गुल और अच्छे राल से ही माँ को धुनुच...