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त्रि दीपक आरती ( 3 Aarti Deepam )

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आरती में विषम संख्या के दीपक से ही मुख्यता आरती की जाती है | इसमें तीन,पांच,सात और नौ संख्या में ही आरती होती है | इन में से सबसे ज्यादा प्रचलित खास कर उत्तर और पूर्वी भारत में पंचप्रदीप यानि पांच बाती के आरती दीपक | दक्षिण प्रदेश तथा कोंकण प्रदेश में सात बाती के एकल आरती के साथ ही दीप आराधनई भी की जाती है जिसमे तीन,पांच,सात और नौ के साथ ग्यारह तथा इक्कीस दीपक से भी आरती आराधना किये जाते हैं | केवल धूप तथा मुख्यता दीपक से यानि आरात्रिक माधयम से ही आराधन करने के कारण इसे 'दीपम आराधनई' कहा जाता हैं | पांच दीप पांच इन्द्रिय तथा पांच वायु के भी प्रतिक मने जाते हैं तत्त्व अनुसार | सात दीप सप्त चक्र तथा अग्नि के सप्त जिह्वा के प्रतीक रूप में भी निवेदन किये जाते हैं | त्रि यानि तीन बाती दीपक तीन गुण के प्रतीक होते हैं | सत्त्व, रज और तम इस त्रि गुण से ही संसार के लीला चलता है, यह तीन गुण सब में ही है किसी किसी में किसी गुण की आधिक्य  होता है पर तीन गुण के सबमें होता है मनुष्य जन्म लेने से | केवल मात्र ईश्वर ही इन त्रिगुण के ऊपर हैं इसलिए उन्हें त्रिगुणातीत कहा जाता हैं | अर्थात इन त्र...