आरती की परिभाषा और तात्पर्य [ Aarti definition of significance ]
अगर हम आरती की बात करे तो सबसे पहले यह बताना जरुरी है की आरती हमारे पांच तत्वों की प्रतीक हैं और साथ ही यह प्रकृति से जुड़ा हुआ एक आचार है| पांच तत्वों से ही हमारी विश्व और हम बने हुए हैं और इसे ही हम आरती की माध्यम से हमारे आराध्य को निवेदन करते हैं प्रेम भाव से| यह पांच तत्वों हैं भूमि (पृथ्वी), अग्नि (आग), गगन (आकाश), वायु (हवा), नीर (जल)| धूप को पृथ्वी तत्वों माना जाता है तो पंचप्रदीप को अग्नि, जलपूर्ण शंख को जल तत्वों मन है ही तो वस्त्र को आकाश और चामर या आम पीपल से पत्तों से कीजानेवाले हवा को वायु तत्वों| इसमें भूमि, अग्नि और जल तत्वों को मूल तत्वों माना गया है इसलिए धूप-दीप आरती ज्यादा प्रचलित है साथ ही जल का प्रयोग आरती के बाद की जाती है अग्नि को शांत करने के लिए और फिर सब आरती अपने सर पे ग्रहण करत्ते हैं| धूप से आरती शुरू की जाती है क्यों के धूप की सुगंध हमारे नकारात्मक ऊर्जा को ख़तम करके करके हममें सकारात्मकता लाती है और पुरे बातावरण को अध्यात्ममय बना देती है| धूप में हमेशा धुनाची धूप ही इस्तेमाल होती है आरती के लिए अगरबत्ती नहीं| जो ऊर्जा प्राकृतिक धूप हमें देती है वह अगरब...