आरती के इतिहास के बारे में कुछ बातें [ Aarti History & Origin ]

आरती केवल एक आचार या संस्कार ही नहीं है बल्कि यह हमारे जीवनशैली का एक हिस्सा भी है| बहुत ही समय से भारत में यह परंपरा चली आ रही है| आरती को एक क्रिया भी कहा जा सकता है जो की एक स्वतंत्र पूजा क्रिया है| अगर हम आरती की इतिहास के ऊपर थोड़ा ध्यान दे तो हम देखेंगे की आरती सिन्धु सभ्यता के समय से ही संस्कृति का एक हिस्सा है| आर्य संस्कृति के आने से पहेले मंत्रो की उतनी प्राधान्य नहीं हुआ करता था पर उस समय भी पूजा और आरती होती थी| आज हम जिस तरह से पूजा करते हैं वह प्राचीन द्रविड़ सभ्यता के ही देन है| धूप, दीप, गंध, पुष्प, अक्षत से पूजा की परंपरा ही हमारी प्राचीन परंपरा है, और आरती देवता के मनोरंजन के लिए किया जाता था| तमिल में 'पू' शब्द का अर्थ है पुष्प और 'जा' का अर्थ कर्म, इसलिए पूजा को पुष्पकर्म कहा जाता है| आरती को पुष्पकर्म ही कहा जा सकता है| धूप और दीप से आराधना या आरती करने को तमिल भाषा में आराधनाइ कहा गया है| धूप आराधनाइ अर्थ्यात धूप आरती दीप आराधनाइ को दीप आरती| बाद में आरती की पूरी प्रक्रिया को आराधनाइ कहा गया जिसमे धूप, दीप, कर्पूर, शंखजल और पुष्प इस्तेमाल होने लगे| संस्कृत में इसे ही आरात्रिक कहा गया| साथ ही इस सारे उपचारों को निवेदन के अलग अलग मंत्र भी संस्कृत में रचे गए, जैसे धूप निवेदन या दीप निवेदन मंत्र| आजकल आराधनाइ और आरात्रिक से हिंदी आरती शब्द आरती के लिए एक बहुल प्रचलित शब्द है|

आरती देवता के मनोरंजन के लिए किया जाता था| आर्य संस्कृति ने भी आरती की इस सुंदरता को देखते हुए उसे अपनाया और फिर इसे सनातन धर्म का एक हिस्सा बनाया| आरती के बिना कोई पूजा सम्पूर्ण नहीं मानी जाती और अगर आप बहुत से उपचार के साथ पूजा करने में असमर्थ रहे तो केवल आरती से ही आप पूजा सम्पन्न कर सकते हैं| प्राचीन समय में धूप और दीप जलाकर देव मूर्ति  के सामने नृत्य और गीत किया जाता था यही प्रथा आज भी हमारे आरती संस्कृति में दिखाई देती है| आरती गाते हुए ही आज भी हम आरती करते हैं तो कही पर घंटा और शंखनाद के साथ| आरती आज पंच उपचार या सप्त उपचार से कि जाती है जैसे धूप, दीपमाला, जलशंख, वस्त्र, चामर से| पर आज भी आरती कि प्राचीनता हो ध्यान में रखते हुए धूप और दीप ही इस्तेमाल किया जाता है प्रधातन| आरती द्रविड़ और आर्य संस्कृति की एक सुन्दर मिलित संस्कृति है जिस इतिहास को हम अज भी आरती पूजा के माध्यम से यानि धूप दीप आरती के माध्यम से पालन कर रहे हैं|

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