गंगा आरती बनारस [Ganga Aarti Benaras]
अगर काशी में बाबा विश्वनाथ और माँ अन्नपूर्णा के दर्शन करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है तो गंगा घाट पर गंगा आरती देखने से आनंद की प्राप्ति होती है| अगर अपने जीवन में यह आरती नहीं देखा तो एक बहुत बड़ी अनुभव से अनछुए रह जायेंगे यह बात पक्की है| दश्वाशमेध घाट में मूल रूप से गंगा आरती होती हे जिसकी एक हिस्से को अब नए नाम राजेंद्र प्रसाद घाट के नाम से भी जाना जाता है| पहली बार 1991 एक आरती की माध्यम से यह आरती करने की प्रथा की शुरुवात हुई जो आप विश्व भर में श्रेष्ठ गंगा आरती के नाम से जाने जाते हैं| बनारस के पहले हरिद्वार में ही गंगा आरती की जाती थी| बनारस आरती के प्रसिद्धता के कारण आज बहुत से जगह पर ऐसे आरती की आयोजन किये जाते हैं| गंगा सेवा निधि संस्था ने ही गंगा घाट पर आरती सबसे पहले शुरू की थी एक आरती के साथ जो धीरे धीरे तीन आरती पांच आरती होकर अब आरती पुरोहित द्वारा यह आरती सम्पन्न होती है| राजेंद्र प्रसाद घाट पे गंगा सेवा निधि द्वारा आरती में सात पुरोहित और दशाश्वमेध घाट पर गंगोत्री सेवा समिति द्वारा आयोजित आरती में पांच पुरोहित आरती करते हैं| आज सिर्फ भारत के अलग अलग प्रदेश से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी गंगा आरती के साक्ष बनने लोग बनारस आते हैं| गंगा घाट में सुबह एक आरती होती है जिसे 'सुबह बनारस' कहते हैं स्थानीय भाषा में और शाम के आरती को मूल आरती कहा जाता हैं जिसके आकर्षण अनन्य है|
राजेंद्र प्रसाद घाट में सात पुरोहित और दशाश्वमेध घाट पर पांच पुरोहित शंख ध्वनि के साथ आरती की शुरुवात करते हैं| सबसे पहले अगरबत्ती दिखाकर माँ गंगा और सभी देबि देबतावों की पूजा की जाती है और साथ ही सरे सृस्टि के लिए मंगल प्रार्थना इसके बाद ही आरती का मूल क्रम चालू होता है| सबसे पहले धूप से शुरू होती है आरती, हाथ में पीतल के धूनची लेकर सुगन्धित धुंआ से आरती की जाती है| इस धूनची आरती से मन एकाग्र हो उठता है इष्ट के प्रति| धूनची आरती के बाद दीपमालाय लेकर आरती की जाती है| दीप आरती के समय ऐसा लगता है जैसे दीपावली आज ही है| दीप आरती के बाद कपूर और फिर शंखजल, वस्त्र, पुष्प, मयूर पंखे से आरती की जाती है| आरती के बाद चामर से व्यजन किया जाता है| और फिर शंखध्वनि के साथ आरती समाप्त होती है| चारों और हर हर महादेव शम्भू काशी विश्वनाथ गंगे की गुंज से आनंदित हो उठता है| प्रार्थना के बाद नमः पार्वती पतये हर हर महादेव ध्वनि के साथ उस दिन की आरती सम्पन्न होती है|
कहते है अगर अपना मन सही नहीं है और आप किसी तनाव से ग्रस्त हे तो बनारस के घाट पे सुबह या संध्या आरती के समय कुछ समय जरूर बिताए आपकी साडी चिंता दूर होकर आप एक एक शांति का अनुभव करेंगे| इसलिए आप बनारस में जाकर चाहे किसी मंदिर में जाये या ना जाये चाहे वहा के घाटों की सफर करे या ना करें पर गंगा आरती के साक्षी जरूर बने, यह अपने आपके जीवन का एक यादगार पल के रूप में आपके साथ हमेशा रहेगा|

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