रोज की पूजा और आरती [ Daily Worship & Aarti ]


अगर हम रोज की पूजा की बात करे तो यह बहुत ही साधरण और स्वतंत्र पूजा होती है| हर घर में और हर एक व्यक्ति की अपनी अपनी विशेषता होती है पूजा करने के लिए| कुछ लोग अपने अपने आराध्य के अनुसार भी पूजा आरती करते हैं| जैसे जो श्री राम और माता जानती की करती हैं उनके पूजा पद्धति अलग होती हैं तो जो माँ दुर्गा या भगवान शिव की पूजा करते हैं उनके पद्धति अलग| पर अगर साधारण पद्धति की बात कि जाये तो यह हर पूजा में एक जैसी ही होती है| धूप-दीप से ही ज्यादातर पूजा कि जाती है या फिर गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप के साथ| कुछ लोग अपने भगवान के पसद के अनुसार भोग भी लगते हैं पर वो अपने पसंद के ऊपर निर्भर करता है, पूजा पद्धति में भोग या प्रसाद का होना जरुरी नहीं होता है|

पूजा कहें कोई भी हो उसके लिए सबसे पहले पंचोपचार पूजा कि जाती है और फिर धूप-दीप से आरती| मंदिरों में पांच नीराजन पद्धति से आरती की जाती हैं पर घर पे हर समय यह करना संभव नहीं होता किसी विशेष अनुष्ठान में ही पंच उपकरण से आरती की जाती है| प्रतिदिन कमसे काम दोबार आरती की जाती है सुबह के समय और शाम के समय कुछ लोग दोपहर समय भी आरती करते हैं| नित्य आरती करने के लिए सबसे पहले आरती के धूप दीप सजा लेना चाहिए और उसके बाद गंध पुष्प और अक्षत से पूजा करके आरती के धूप और दीपक को जलाकर उसे आचमनी जल से निवेदन करना होता हैं| अब धीरे धीरे शांत भाव से पहले धूप आरती और दीप आरती करनी होती है| आरती के एक एक वस्तु से आरती करने के बाद हैट भी धोना चाहिए उसके बाद ही दूसरे बस्तु से आरती करनी चाहिए| आरती घंटी बजाकर भी की जा सकती है और आरती गाते हुए भी| आरती सम्पन्न होने की बाद शंख ध्वनि करना चाहिए और फिर भगवान को प्रणाम करना चाहिए| कुछ लोग आरती शुरू करते समय भी एकबार शंख ध्वनि करते हैं| आरती के बाद धूप और दीप के शिखा को अपने माथे और ह्रदय में प्रसाद की तरह ग्रहण करना चाहिए साथ ही पूरी घर में धूप जरूर दिखानी चाहिए| प्रतिदिन आरती करने से एकाग्रता बढ़ती है|  घर का कोई भी सदस्य आरती कर सकता है उसके दीक्षित या कुछ बहुत पद्धति जानने की कोई आबश्यकता नहीं होती| आरती ईश्वर के प्रति दर्शया हुआ प्रेम होता है जो कोई भी शुद्ध अंतर्मन के साथ कर सकता हैं|

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नैवेद्य और प्रसाद क्या होता है [Naivedya aur Prasda]

आगम और धूप दीप पूजा आरती

शिवपूजा धूप निवेदन और आरती मंत्र [Shivratri Dhoop aur Aarti puja Mantra]