ऐसे करें शालिग्राम की आरती पूजन [ How to worship Shaligram ]


वैसे तो हम किसी खास मौके पर पर नारायण पूजा, सत्यनारयण पूजा तथा शालिग्राम जी की पूजा करते हैं पर रोज पूजा कैसे करें और किस तरह से आरती करें इस बारें में बहुत से समय समझा नहीं पाते हैं| वैसे तो शास्त्रों की माने तो शालिग्राम पूजा करना सबसे आसान और सहज पूजा होता हैं| इसके लिए बहुत सारा इंतजाम या फिर सामग्री जरुरी नहीं होती है| बहुत से जगह पर यह अवधारणा है की शालिग्राम की पूजा सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं पर इसका कोई सही आधार नहीं हैं, महिलाय भी शालिग्राम जी की सेवा कर सकते हैं उनके आरती कर सकते हैं पर हो सके तो शालिग्राम जी के साथ लक्समी माँ के पूजन भी करना चाहिए तभी शालिग्राम पूजा सम्पूर्ण मानी जाती है| शालिग्राम पे कवी भी कुमकुम, लाल चन्दन, लाल पुश नहीं चढ़ाना चाहिए, हमेश हरी चन्दन जिसे पीली चन्दन भी कहते हैं उसे ही तुलसी के पत्ते के साथ लगाना चाहिए, अगर पीली चन्दन न मिले तो श्वेत यानि सफ़ेद चन्दन भी शैली जी की पूजा में इस्तेमाल कर सकते हैं|

शालिग्राम जी की पूजा से पहले नहा जरूर ले और अगर हो सके तो घर पे ही तुलसी के पत्ते पानी में डालकर नहाइये| यह सिर्फ धार्मिक कारण से ही नहीं आयुर्वेद के हिसाव से भी बहुत ही लाभकारी है| अब शालिग्राम जी के पूजा के लिए सारी सामग्री व्यवस्थित कर ले और फिर हो सके तो दूध, दही, मिछरी, घी, सहद के साथ पंचांमृत बना कर उससे उन्हें स्नान करवाए और फिर गंगाजल या नल के साफ जल में तुलसी डालकर उन्हें स्नान करवा ले| इसके बढ़ अच्छे से पोछ के उन्हें आसान में बैठा दे| शालिग्राम जी के आसन के लिए हमेशा पिले कपड़े ही बिछाय| अब कहें तो आप अपने हिसाव से सजावट और श्रृंगार करवा सकते हैं पर अगर न भी करें तो तुलसी के तीन पत्ते हरी चन्दन के साथ सालिग्राम जी के ऊपर जरूर लगाए| अब पुष्य और चन्दन भगवन को चढ़ा दे और धूप- दीप दिखाय| अगर आप विशेष पर्व में शालिग्राम जी की पूजा कर रहें हैं तो आसन या चौकी के दोनों तरह धूप पत्र और दीप रख सकते हैं| धूप-दीप दिखने के बाद आप अपने मन अनुसार प्रेस चढ़ा सकते हैं| पर अगर आपके पर बहुत कुछ उपलब्ध नहीं हैं तो नारियल चढ़ा सकते हैं या फिर मिछरी के शरबत| अगर कोई बना हुआ भोग ऐसे हलवा, पूरी, सब्जी आप देना चाहते हैं तो वह भी निवेदन करें और फिर टिंबर पुष्पांजलि दे| इसके " नमः नारायणाय नमः" मंत्र जा कर सकतें हैं और फिर आरती के लिए धूप और पांच प्रदीप जलाकर आरती कर करें| कहें तो धूप और कपूर से भी आरती कर सकते हैं| आरती के बाद प्रसाद स्वरुप आरती सबमे जरूर दे और साथ ही पंचामृत प्रसाद जिससे अपने शालिग्राम को स्नान करवाया था| पंचामृत और आरती देने के बाद ही बाकि के भोग प्रसद सब में बाटे| अगर आपके पाश समय ज्यादा नहीं हैं और फिर भी पूजा करना चाहते हैं तो आप धूप पूजा से भी पूजा कर सकते हैं सिर्फ| कोशिश करें रोज शालिग्राम को तुलसी जल से स्नान करवाने की पर अगर आप रोज नहीं भी कर पाए तो गुरुबार जरूर स्नान करवाय शालिग्राम शिला को और गुरुबार शालिग्राम और लक्ष्मी जी  के विशेष पूजा आरती भी किया जा सकता है| आयुर्वेद के अनुसार शालिग्राम का तुलसीदल युक्त चरणामृत पीने से बहुत से विषले रोग निरामय हो जाते हैं|

निषेध : शालिग्राम पूजा के समय कभी भी केवल यानि खली अक्षत नहीं चढ़ानी चाहिए| पीले अक्षत चन्दन के साथ या गन्धपुष्प के साथ ही चढ़ाना चाहिए|

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