रथ यात्रा पर श्री जगन्नाथ के आरती करें ऐसे [ Rath Yatra Jagannath Aarti ]


वैसे तो रथ यात्रा ओडिसा में सांसे ज्यादा उल्लास और उत्साह के साथ मनाई जाती है पर पुरे देश भर में ही रथयात्रा को एक पर्व के रूप में मनाया जाता है| उत्तरी भारत, बंगाल और गुजरात में रथयात्रा अलग अलग तरीके से मनाए जाते हैं| रथ यात्रा में पूजा और आरती के कुछ सरल तरीके ही है पर अगर अप कहें तो अप इसे अपने तरीके से बड़े मात्र में भी कर सकते हैं| यहाँ पर हम बस  सरल तरीके से कैसे और किस तरह पूजा और आरती की जा सकती है इस बारे में ही बात करेंगे| यहाँ पर सबसे पहले एक बात ध्यान में रखना बहुत जरुरी है की अगर आप रथयात्रा के दिन पूजा कर रहे हैं तो सूर्यास्त से पहले ही एकबार आरती जरूर करें क्यों कि सूर्यास्त के बाद रथ नहीं चलाई जाती है| रथयात्रा के पूजा में आप जगन्नाथ जी के पूजा कर सकते हैं या फिर नारायण या शालिग्राम शिला में भी पूजा और आरती कर सकते हैं| नैबेद्य और भोग की बात अपने आप पर निर्भर होती हैं हर जगह और अपने अपने पसंद  के हिसाब से आप उसे चड़ा सकते हैं पर बहुत सारा भोग चढ़ाना जरुरी नहीं होता हैं अगर आप चाहें तो बस एक नारियल चढ़ाकर भी पूजा कर सकते हैं|

जगन्नाथ जी की आरती करने से पहले उन्हें अच्छे से आसन दे और फूल चंदनों से सजा ले| अब उन्हें तीनबार पुष्पांजलि अर्पण करें और धूप-डीप जलाकर उन्हें दिखाए| आरती के धूप में "एतस्मै धूपाय नमः" बोलके आचमनी जल छिड़के और फिर गंध पुष्प से "एष धूपः ॐ नमः नारायणाय नमः " कहके अर्पण करें| फिर धूप से आरती करें, इसके बाद आरती के पांच दीप यानि पंचप्रदीप जलाकर "एतस्मै नीराजन दीपमालाएं नमः" कह कर आचमनी जल छिड़के और गंध पुष्प लेकर "एष नीराजन दीपमालाएं ॐ नमः नारायणाय नमः" बोलके आरती करें| इसके बाद अगर आप चाहें तो कपूर, जल भरे शंख, पुष्प और चामर से आरती कर सकते हैं| हर बस्तु से आरती करने से पहले आचमनी जलका छिड़काव जरूर करें और अपने हात धो ले|  आरती के संपन्न होने पर शंख ध्वनि करके प्रणाम करें और प्रसाद स्वरुप आरती के धूप और दीप सबको दे| इसके बाद ही आप भोग या प्रसाद सबमें बांटे|

अगर आप रथयात्रा के दिन आरती करते हैं तो आपको पूर्णयात्रा के दिन भी आरती करना ही चाहिए| रथ यात्रा में सूर्यास्त के पहले एक बार आरती जरूर करें और फिर संध्या को संध्या आरती करें| पूजा करने से पहले पुरे घर को धूप के सुगंध से सुगन्धित करें| कहते हैं की धूप और कपूर की सुगंध प्रभु जगन्नाथ को बहुत ही प्रिय हैं इसलिए पुरी में भी हर पर्व में उनकी धूप और कपूर से विशेष आरती की जाती हैं|

फोटो : इस्कॉन पुणे के ट्वीटर अकाउंट से प्राप्त 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नैवेद्य और प्रसाद क्या होता है [Naivedya aur Prasda]

आगम और धूप दीप पूजा आरती

शिवपूजा धूप निवेदन और आरती मंत्र [Shivratri Dhoop aur Aarti puja Mantra]