सोमवार के संध्या कालीन आरती कैसे करें [ How to perform Monday evening Aarti ]


सोमवार के संध्या कालीन आरती के लिए बहुत ज्यादा सामग्री की जरुरत नहीं होती है धूप, घी के दीपक और कपूर ही काफी होती है| आरती करने से पहले पुरे घर में धूप जरूर कर ले और उसके साथ जहा अपने सुबह शिव पार्वती पूजा किये थे उस स्थान को साफ कर लें सही से| धूप करने के बाद आचमनी पत्र में गंगा जल डालकर फिर आचमन करें और फिर पूजा तीनबार पुष्प और बिल्वपत्र देकर पुष्पांजलि प्रदान करें| इसके बाद कम से कम इक्कीस बार ॐ नमः शिवाय का जप करें और फिर आरती के धूप और दीप जलाकर उसे निवेदन कर और शंख बजाते हुए आरती शुरू करें| अगर आप शिव आरती जानते हैं तो उसे भी जरूर गाये| धूप, दीप से आरती करने के बाद ही कपूर से आरती करें और सबको प्रसाद स्वरुप आरती जरूर दे और खुद भी ग्रहण करें| आरती करते समय हमेशा पहले धूप से आरती करें और फिर दीप से| अगर आपके पास घी के दीपक नहीं हैं तो आप कपूर जलाकर भी आरती कर सकते हैं|
नीचे सम्पूर्ण शिव आरती दिए जा रहे हैं जो आप आरती करते समय गा सकते हैं-

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥

अक्षमाला बनमाला मुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भोले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥

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