जन्माष्टमी भोग : नारियल लड्डू [Nariyal Ladoo]
वैसे तो नारियल लड्डू हर पूजा के लिए ही आप इस्तेमाल कर सकते हो पर अगर आप जन्माष्टमी के लिए नारियल लड्डू बना रहें है तो गुड़ वाले नारियल लड्डू से ज्यादा चिनिवाले नारियल लड्डू ही ज्यादा अच्छी होती है| आप कहें तो इसे मिश्री के साथ भी बना सकते हैं पर उसके लिए मिश्री को बहुत अच्छी तरह से गाढ़ा कर उबाल ले| और जब भी अब प्रसाद बना रहे हैं तो आप कोशिश करें कि उसे पीतल के कोई बर्तन में ही बनाने की| तो आइये जानते हैं नारियल लड्डू ता नाड़ु बनाने के तरीके|
पहले ही बता दे यह आप चाहे तो गुड़ के ही लड्डू बना सकते हैं और कहें तो चीनी के नारियल लड्डू पर यह कोई सोचने की विषय नहीं है जिस तरह का भोग आपको चढ़ाने का मन हो आप वही चढ़ाया कीजिये| पाहे एक पीतल के कड़ाई ले लीजिए और नारियल को बहुत ही बारीकी से कद्दूकस कर लीजिये| अगर आप चाहे तो नारियल के साथ चीनी और गुड़ मिलकर फिर उसे कड़ाई में डालकर अच्छे से पका सकते हैं या फिर कड़ाई में थोड़ा सा पानी लेकर उसमें चीनी ले ले या फिर गुड़ ले ले यह रखे अगर आप एक कप चीनी लेते हैं तो आधे कप से भी कम पानी उसमें डेल और गुड़ के बारे में भी यही करें| जब चीनी अच्छे से उबाल जाये और हैट में थोड़ा चिपक ने लगे तो आप उसमें नारियल मिलाय उसके बाद अक्सेह तरह से तब तक कलछी से उसे चलाते रहे जब तक नारियल और चीनी एक दूसरे के साथ बहुत अच्छे तरीके से मिल न जाये| जब चीनी और नारियल एक दूसरे के साथ मिल जाये और लड्डू के आकर में बन जाने ले लायक हो जाये तो ही उसे गैस से निचे रखे| ध्या रखे नई अगर नारियल और चीनी के मिश्रण नरम रह जायेगा तो उससे आप कभी भी अच्छी लड्डू नहीं बना सकेंगे| आग से कड़ाई निचे रखने के बाद थोड़ा गरम रहते हुए ही लड्डुओं को उसके आकार में बनाना होगा| इसके लिए हैट में पानी लगा ले अच्छे से ताकि आपको आकार देने में आसानी हो| अच्छे से गोल अगर देकर उसे बना ले और भोग के लिए रख दे|
विशेष : अगर आप कहें तो लड्डू में कुटी हुई इलाइची, कपूर या फिर किशमिश डाल सकते हैं और| ध्यान रखे चीनी की मात्रा नारियल में कभी भी बहुत ज्यादा न हो उससे लड्डू अच्छे नहीं बनेंगे| हमेसा लड्डू को पीतल के कड़ाई में ही बनाय या फिर नॉनस्टिक कड़ाई में ही बनाना चाहिए पर अगर भोग के लिए बना रहे हैं तो पीतल के कड़ाई सबसे सही और अच्छा होता है| भोग लगते उसमें तुलसी का पत्ता जरूर रख दे और हो सके तो इसे अच्छे से सजाकर ही प्रसाद के रूप में चढ़ाय|

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