पूजा आरती [Pooja Aarti]
मंगल आरती और धूप आरती के बाद होती है पूजा आरती| पूजा आरती इसे इसलिए कहा जाता है क्यों के यह पूजा के अंत में यानि पूजा सम्पन्न होने के बाद किया जाता है| सुबह पांच या सात उपचार के साथ आरती करने के बाद धूप, पंचप्रदीप, शंखजल, पुष्प और चामर या पंखे से आरती की जाती है इसे ही पूजा आरती कहते हैं| पूजा आरती से पहले पुष्प, अक्षत, चन्दन, धूप, दीप से पूजा किया जाता है| बहुत से जगह पर षोडश उपचार से भी पूजा किया जाता पर यह ज्यादातर आनुष्ठानिक पूजा में ही की जाती है|
पूजा आरती हर मंदिर में अलग अलग तरीके से की जाती है पर कुछ जगह पर केवल गंध पुष्प से पूजा करने के बाद भी पूजा आरती की जाती है| आरती एक सम्पूर्ण पूजा है इसलिए अगर पंच आरती पद्धति से आरती की जाती है वह भी एक सम्पूर्ण पूजा है| क्यों की आरती को एक स्वयं सम्पूर्ण संक्षिप्त आरती करते हैं| पूजा आरती करने लिए पुष्पांजलि प्रदान करके भी आरती कर सकते हैं| पूजा आरती और संध्या आरती ही सबसे ज्यादा प्रचलित आरती है| किसी भी प्रकार की पूजा अगर आप करते हैं तो उसके संपन्न करने के लिए पूजा आरती करना आवश्यक होता है| मंदिर में भगवान के उपचार सहित पूजा के बाद ही पांच उपचार या सात उपचार से आरती की जाती है|

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