भोग आरती [Bhog Aarti]
भोग आरती दोपहर के भोग लगाने के बाद की जाती है इसे मध्यान्ह आरती भी कहते हैं| रोज अन्न, पूरी, सब्जी या मिठाई भगवान को भोग लगाया जाता है और संक्षिप्त या पूर्ण आरती की जाती है| धूप और दीप आरती से भोग आरती संपन्न की जाती है| मठ और मंदिर में ही प्रधानत भोग आरती की जाती है पर घर पे भोग आरती विशेष रूप से नहीं की जाती है क्यों कि समय अभाव के कारण यह होता है पर कुछ घरों में फिर भी भोग चढ़ाकर आरती की जाती है| अगर भोग आरती करना है तो यह 11 बजे से 12 बजे तक ही करना चाहिए| यही असल में भोग चढ़ाने का सही समय होता है| पर अगर आपके पास समय न हो तो आप कम से कम 2 बजे तक करना ही चाहिए|
भोग आरती प्रधातन संक्षिप्त आरती ही होती है जो केवल धूप, दीप और कपूर से ही की जाती है| भोग भगवान को चढ़ाकर उसे निवेदन करके जैसे विष्णु पूजा में तुलसी पत्र चढ़ाकर या दुर्गापूजा में लाल फूल या गणेश पूजा में दूर्वा चढ़ाकर अर्पण किया जाता है| भोग अर्पण करने के बाद आरती की जाती है धूप, दीप से और फिर आरती संपन्न होने के बाद शंख से जल छिड़क कर फिर उसे सारे भक्तों में बांटा जाता है| भोग चढ़ाकर ही फिर दोपहर का खाना कुछ परिवार ग्रहण करते हैं| भोग आरती वैष्णव पूजा में कई तरह से होती है जैसे प्रभाती भोग आरती, मध्यान्ह भोग आरती, संध्या भोग आरती ऐसे की जाती है|

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