कैसे करें जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण आरती [Shree Krishna Aarti]


अगर आप गोपालजी की आरती कर रहे हैं या फिर आप राधा-गोविन्द की पूजा कर रहे हैं या फिर लक्ष्मी-नारायण की तो एक बात का ध्यान रखे की यह एक वैष्णव पूजा है और इसमें आरती ही मूल पूजा है| जन्माष्टमी की पूजा करने के लिए आचमन पत्र में तुलसी और जल जरूर ले लीजिये साथ ही थाली में फूल, हरिचंदन और अक्षत रख ले| अब आचमन करते हुए सारे बस्तुओं पर आचमन पात्र में रखा जल आचमनी पात्र की सहायता से छिड़क दे| इसके बाद मिश्री की शरबत और माखन, मिश्री, बतासा, लड्डू सब ठाकुरजी को अर्पण करें| प्रसाद पे तुलसी पात्र जरूर रखे| आप धुनुची में धूप जलाय और उसे ठाकुरजी को दिखते हुए आरती करें ठीक उसी प्रकार घी के एक दीपक जलाकर भी ठाकुरजी को दिखते हुए आरती करें| इसके बाद तीनबार पुष्पांजलि दे और प्रणाम करें| इसके बाद 'एष धूपः भगवते बसुदेवाय नमः' कहके आरती करें साथ ही 'एष नीराजन दीपमालायें नमः' बोलकर पंचप्रदीप जलाकर आरती करें| इसके बाद शंख जल, कमल के पुष्प और मोरपंख के पंखे से आरती करें| आरती के बाद सबमे धूप और दीप आरती प्रसाद स्वरुप सबसे पहले दे और साथ ही पुरे घर में दिखाय| अगर आपके घर में बचे हैं तो भोग प्रसाद सबसे पहले उन्हें खिलाय और फिर सबसे बांटे| 

जन्माष्टमी पर आप ऐसे आरती करें और साथ ही बहुत ही सुन्दर और सरल तरीके से जन्माष्टमी मनाय| अगर आप बिस्तृत पूजा और आरती करना कहते हैं तो उसके लिए आप किसी भी पूजा विधि किताब की सहायता ले सकते हैं| 
आप सभी को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाए|

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