सिर्फ दुर्गाष्टमी पर कैसे करें दुर्गापूजा [Durga Ashtami Durgapuja]
बहुत से लोग रोज पूजा नहीं कर पाते हैं पर वह भी नवरात्रि पर माँ की आरती पूजा करना चाहते हैं उनके लिए ही मेरा यह ब्लॉग है| सबसे पहले तो एक बात ध्यान में रखे कि जो लोग रोज पूजा नहीं कर पाते हैं नवरात्रि में उन्हें निराश होने की कोई जरुरत नहीं है आप भी नवरात्रि के इस एक दिन पूजा करके ही सम्पूर्ण नवरात्रि के फल परैत कर सकते हैं| नवरात्रि के पूजा केवल कामना के लिए बल्कि माँ के प्रति भक्ति और माँ के प्रीति के लिए किया जाता है इसलिए नवरात्रि पूजन को कहते हैं 'दुर्गा प्रीति कामनाये दुर्गापूजा करिष्यामि'|
अगर आप अष्टमी पर दुर्गापूजा कर रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखे कि सम्पूर्ण पूजा इस दिन ही करना है इस भावना के साथ ही दुर्गापूजा करें| दुर्गापूजा सामग्री के लिए आप पंचा उपचार में ही पूजा कर सकते हैं या फिर सप्त उपचार में इसमें गंध, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, हल्दी-कुमकुम और नैवेद्य प्रधान है| इस दिन अगर आप चाहे तो सम्पूर्ण पूजा करके हवन और आरती करना चाहते हैं| बहुत से लोग खुद हवन कार्य करते हैं पर अगर आपको हवन और वेद मंत्र का ज्ञान हैं तभी हवन कार्य करें वर्ण किसी पंडितजी से ही हवन कराय| आप अष्टांग धूप से भी हवन कर सकते हैं अगर आपके पास पंडितजी नहीं हैं या आपको हवन के बारे में ज्ञान नहीं हैं तो| धूप हवन को यज्ञ धूप कहाँ जाता हैं जिसके बारे में हमने पहले ही आलोचना की है| आप अष्टमी के दिन अगर पूजा कर रहे हैं तो भी आप कन्या पूजन कर सकते हैं पर हर पद्धति एक के बाद ही एक होना जरुरी है कोई भी पद्धति पहले और बाद में ऐसे करके नहीं किया जा सकता| अष्टमी के दिन सबसे पहले सुबह माँ के सामने घट स्थापना कर दे और आप केवल अष्टमी के पूजा कर रहे हैं इस संकल्प के साथ माँ की धूप दीप से आरती करें| इसके बाद पंच उपचार या षोडश उपचार के साथ माँ की पूजा करें| इसके बाद आरती करें| अगर आप हवन करते हैं तो कोई जानकर से ही कराय पर अगर आप हवन नहीं कर पा रहे हैं तो यज्ञ धूप माँ के सामने जलाय उसमें विधिवत धूप आहुति दे और फिर उससे माँ की आरती करें| अगर आप कुछ भोग माँ को लगाना चाहते हैं तो हवन या धवन धूप से पहले ही माँ को चढ़ाय| घर पे उसदिन कोई और खाना न बने और केवल माँ का भोग ही प्रसाद के रूप में सब ग्रहण करें| माँ को दोपहर में विश्राम जरूर दे और लोटे में जल भरके रखे और इसके बाद संध्या के समय माँ को पुष्पांजलि दे और संध्या आरती करें| संध्या आरती करने से पहले पुरे घर पे धूप जरूर करें| संध्या आरती के बाद अगर आप माँ को रात्रि भोग देना चाहते हैं तो देकर आरती करें और पा से प्रार्थना करें की अपने अष्टमी पूजा अपने सामर्थ के अनुसार संपन्न की है अगर कोई गलती हुई है तो उसके लिए माँ से क्षमा याचना करें| आप अगर अष्टमी के दिन भी पूजा करें तो भी कोशिश करें की घाट विसर्जन दशमी पर ही करें| नवमी के दिन बस माँ की आरती और धूप करें| पर अगर आप दूसरे दिन ही घाट विसर्जन करना चाहते हैं तो नवमी के दिन बारा बजे से पहले विसर्जन करें| बहुत से परिवार में उनके घर के अपने नियम होते हैं तो वह उस नियम के पालन भी कर सकते हैं|

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