कैसे होती है बंगाली दुर्गापूजा में संधिपूजा [Bengali Durgapuja me Sandhipuja]


वैसे तो नवरात्रि और दुर्गापूजा पुरे भारत में मनाई जाती है पर हम सभी जानते हैं की बंगाल की दुर्गापूजा बहुत ही विशेष पर्व है| बंगाल की दुर्गापूजा की एक विशेष आचार है अष्टमी और नवमी के संधि क्षण में माँ दुर्गा की पूजा चामुंडा रूप में करना| कहाँ जाता है अष्टमी के अंतिम 24 मिनिट और नवमी के शुरू के 24 मिनिट के समय समय माँ ने चामुंडा रूप धारण करके महिषासुर का वध किया था| इसलिए इस क्षण में माँ को शक्ति रूप में पूजा जाता है| इस पूजा के लिए तीन चीज मूल होती है 108 मिटटी के दीपक, 108 लाल कमल के फूल लाल चन्दन के साथ और धूप| कहाँ जाता है इस तरहे से मा चामुंडा की पूजा करके माँ को धन्यवाद किया जाता हे और माँ से यह प्रार्थना की जाती है कि माँ इसी तरह हमारे रक्षा करते रहे| कहाँ जाता है अगर आप पुरे दुर्गापूजा के समय अंश न भी ले पाए तो केवल संधिपूजा में उपस्थित रहने से ही आप को दुर्गापूजा के सम्पूर्ण फल मिल जाते हैं| संधि पूजा में दीप जलाकर धूप और दीप से आरती की मुहूर्त सबसे सुन्दर और आध्यात्मिकमई होता है|
इस बार दुर्गापूजा में संधि पूजा 17 अक्टूबर दोपहर 12.03 मिनिट से लेकर 12.51 मिनिट में संपन्न होगा| किसी भी दुर्गापूजा पंडाल में जाकर आप संधिपूजा देख सकते हैं|

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