नवरात्रि उत्सव पर माँ दुर्गा की आरती पद्धति [Maa Durga Aarti Paddhati]
दुर्गापूजा में आरती करने लिए कुछ पद्धति है जो हर पूजा में ही आम होती है पर दुर्गापूजा में नौदिन तक कैसे आप आरती करेंगे और किस पद्धति से यह जानकारी हम यहाँ आपको पूरी तरह से देंगे| दोस्तों आरती करने में अगर आप बस धूप डीप जलाकर ही आरती शुरू कर देंगे तो वह सम्पूर्ण आरती नहीं होती है| आरती करने के लिए सबसे पहले आप पुष्पपत्र में पुष्प चन्दन और अक्षत रखले| अब आचमन करें और तीनबार पुष्पांजलि दे| इसके बाद जल से एक त्रिकोण अंकित करें और उसपर धुनुची और पंचप्रदीप को रखे या फिर आप कुछ अक्षत नीचे रख कर भी धुनुची और पंचप्रदीप रख सकते हैं| धुनुची और पंचप्रदीप अब जला ले और इसे आरती के लिए निवेदन करें| आचमनी से जल छिड़काव करते हुए और गन्धपुष्प से से निवेदन करें| अगर आप कहें तो एक साथ ही निवेदन कर सकते हैं या फिर एक से आरती करने के बाद दूसरे वास्तु को निवेदन कर सकते हैं| आरती के हर वास्तु निवेदन करके और आरती करने के बाद पंचपात्र के जल से अपना हैट जरूर धो लिया करें| धूप दीप निवेदन मंत्र नीचे हैं|
धुनुची धूप के लिए -
एतस्मै बं धूपाय नमः [तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें]
एते गन्धपुष्पे बं धूपाय नमः [चन्दन पुष्प लेकर]
एतदधिपतय ॐ देवाय श्रीविष्णवे नमः
एतत सम्प्रदानाय ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः
ॐ वनस्पति रसो दिव्य गन्धाढ्यः सुमनोहरः |
मया निवेदिता भक्त्या धूपोहयं प्रतिगृह्यताम||
एष धूपः ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः|
पंचप्रदीप के लिए -
एतस्मै नीराजन दीपमालाएं नमः [तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें]
एते गन्धपुष्पे नीराजन दीपमालाएं नमः [चन्दन पुष्प लेकर]
एतदधिपतय ॐ देवाय श्रीविष्णवे नमः
एतत सम्प्रदानाय ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः|
एष नीराजन दीपमालाएं ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः|
आरती केवल धूप-दीप से ही की जा सकती है अथवा पंच नीराजन पद्धति से भी आरती संपन्न किया जा सकता है| पंच आरात्रिक पद्धति में धूप, पंचप्रदीप, जलपूर्ण शंख, पुष्प, चंवर से आरती की जाती हैं| इससे अतिरिक्त वास्तु या उपचार से भी आरती की जा सकती है| आरती करने का मतलब होता है ईश्वर के शक्ति जो पंचा तत्वों में निहित है उसे अनुभव करते हुए प्राणवायु स्वरुप धूप और अंतर तेज स्वरप दीप से आदिशक्ति की आराधना करना|

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