कोलकाता के कालीघाट मंदिर में कैसे मनाई जाती है नवरात्रि [Kolkata Kalighat Mandir ki Durgapuja]
कोलकाता के कालीघाट मंदिर में दुर्गापूजा के दौरान माँ काली की पूजा दुर्गारूप में की जाती है| इस दौरान माँ के दरवार में पूजा चढ़ाने देश के कई हिस्सों से लोग आते रहते हैं| कहते हैं जो भी दुर्गापूजा के दौरान माँ काली की दर्शन करते हैं उनकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है|
नवरात्रि के प्रथम दिन से ही यहाँ पूजा शुरू हो जाती है| दस दिन तक चलनेवाले इस पूजा में नवपत्रिका को माँ के पास में स्थापन किया जाता हैं और फिर संपूर्ण दुर्गापूजा के नियम अनुसार पूजा की जाती है| इस दौरान जो भी फूल बेलपत्ते माँ को चढाई जाती है वह मंदिर से बाहर नहीं फेका जाता है दशमी के दिन जब नवपत्रिका गंगा में विसर्जन किया जाता है तभी उसे पानी में फेका जाता है| दुर्गापूजा के दौरान माँ को सुबह आरती की जाती है दोहर को भोग लगाकर आरती की जाती है संध्या के समय आरती की जाती है और रत में शयन के समय भी आरती की जाती है| इस दौरान माँ को मछली और बलि के मांश का भोग चढ़ाया जाता है जिसे सामिष भोग कहा है| दुर्गापूजा महा पूजा है इसलिए यह भोग भी महाभोग के नाम से जाने जाते हैं| देश के दिन यहाँ माँ को सिंदूर चढ़ाकर सुहागिन महिलाय सिंदूर एक दूसरे को लगाकर सिंदूर खेला में अंश लेती है| इस दौरान अगर कोई मंदिर में बलि चढ़ाना कहें तो उसके लिए उन्हें मंदिर कमिटी से बात करनी होती है पर नारियल चढ़ाकर पूजा देने की इच्छा भक्तो में जायदा देखने को मिलती है| आप अगर कोई विशेष पूजा या आरती माँ को चढ़ाना चाहते हैं तो मंदिर कमिटी के साथ आपको बात करनी चाहिए तभी आप अलग से सही तहरा से पूजा कर पाएंगे| माँ को चढ़े गए भोग भी यहाँ अगर आप लेना चाहे तो मंदिर की कार्यालय से उसे ले सकते हैं|

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