विजय दशमी पर कैसे करें आरती पूजन [Vijaydashmi Puja]
विजय दशमी के दिन बहुत से लोग वैसे तो सुबह के समय पूजा आरती करते हैं पर एक बात का ध्यान रखें कि विजय दशमी की पूजा के लिए सबसे सही समय होता है सूर्यास्त के एकदम पहले| श्रीराम, सीता या फिर राम दरवार सजाकर पूजा की जा सकती है| दशेरा पूजा में सबसे विशेष होता है आरती करना|
विजय दशमी पूजा में मूल रूप से भगवन राम के आरती करके उनसे हर बुराई की अंत करने की प्रार्थना की जाती है साथ में हम अपने अंदर छुपे हुए रावण को भी इस दिन जला सके इसके लिए भी हम प्रार्थन करते हैं| पूजा के लिए दो धुनुची धूप जलाले और साथ में एक कलश भी रख ले नारियल, आम्र पल्लव सहित| धूप भगवान को निवेदन करें और साथ में पहले धूप से और फिर घी के पंचप्रदीप से आरती करें| घी के दीपक से आरती करने का कारन यही यह क्यों के यह विजय उत्सव है और किसी भी विजय उत्सव के दौरान घी के दीपक ही जलाई जाती है पर अगर आप कहें तो सरसो के तेल के दीपक भी जला सकते हैं| आरती के बाद पुरे घर में धूप जरूर करें और साथ ही आरती भी सबको दे| दशेरा मुल रूप से विजय उत्सव हे इसलिए इस दिन पूजा के लिए बहुत ज्याद उपचार की जरुरत नहीं होती है केवल आरती से ही आप पूजा कर सकते हैं पर अगर आपके कुलाचार के अनुसार कोई नियम है तो आप वह भी कर सकते हैं| अगर कोई बहुत कुछ पूजा न भी कर पाएं तो भी आरती जरूर करें और साथ ही पुरे घर में धूप करें| धूप और डीप से पूजा करना ही दशरे की मूल पूजा उपचार हैं इसलिए आप बहुत से वास्तु के आयोजन भले करें या न करें धूप और दीप पूजा में जरूर रखे और अच्छे से आरती करें|
दशरे के दिन उत्तर भारत में रावण के पुतले जलाई जाती हैं और बंगाल में माँ दुर्गा की विसर्जन सम्पन्न होती हैं इस दिन|

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