कोजागरी या कौमुदी पूर्णिमा में कैसे आरती पूजन [ Sharad Purnima Aarti Puja]
कोजागरी पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा होती है जिसे कौमुदी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, कहते हैं इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पूजा आरती करने से सरे मनोकामना पूर्ण हो जाती है| इस पूजा के लिए सबसे जरुरी विषय है भगवान की आरती करना और साथ में ही नारियल का भोग लगाना| बहुत से जगह पर कोजागरी के दिन से ही लक्ष्मीपूजन की तैयारी शुरू हो जाती है और दिवाली के दिन जाकर महापूजन यानि श्री लक्ष्मीनारायण की विशेष आरती से संपन्न हो होती है| नारियल के तरह तरह के पकवान इस दिन भोग में चढ़ाया जाता है| हम सभी जानते हैं की नारियल को श्रीफल कहाँ गया है जिसे लक्ष्मीपूजा में विशेष रूप से चढाई जाती है| इस दिन बहुत से लोग सत्यनारायण के पूजा कथा भी रखते हैं पर इसदिन सबसे अच्छा होता है लक्ष्मीनारायण के एक साथ पूजा करना|
कोजागरी यानि शरद पूर्णिमा के दिन अपने घर को बहुत ही सुन्दर तरीके से रंगोली से सजाना चाहिए और पुरे घर में धूप के सुगंध से सुगन्धित करना चाहिए उसके बाद अगर सम्भब हो सके तो घर के दरवाजे पे दीपक जलाके रखना चाहिए| कोजागरी का मतलब भी यही होता है की रात्रि जागरण| इस दिन आप घाट स्थापन करें और घट पे नारियल के साथ साथ घट के निचे कच्ची हल्दी, धान और पैन सुपारी जरूर रखें| इस दिन घंटी नहीं बजाई जानी चाहिए केवल शंख बजाकर ही आरती करनी चाहिए| दोनो धुनुची में धूना, गुगुल डालकर नारियल के छिलके के साथ धूप जलाय और आरती के लिए जो भी दिया आप जलाएंगे उसमें घी होना बहुत ही जरुरी है|अगर आप नारियल के मिठाई बनाकर भोग न भी चढ़ा पाए तो उसके लिए कोई भी निराशा मन में न रखे नारियल को छोटे आकर में काटकर और चीनी तथा गुर से बानी हुई बतासे के साथ भी उपभोग लगा सकते हैं|अगर संभव को तो मुड़की यानि खील गुड़ के साथ बनाकर उसे भी भोग में चढ़ा सकते हैं| इस दिन पूजा बहुत ही सराज और सहज होती है पूजा शुरू करते समय एकबार आरती करें और फिर व्रतकथा पड़ने के बस या फिर माँ लक्ष्मी को कम से कम आठ कमल के लकसीनारायण को चन्दन के साथ चढ़ाकर फिरसे एकबार आरती करें| आरती के बाद सबको आरती और नारियल से बानी हुई प्रसाद दे| अगर रात्रि जागरण आप कर रहे हैं तो उसके लिए आप धूप और डीप जरूर जलाके रखे और श्री विष्णु तथा माता लक्ष्मी के कथा का पाठ करें अथवा विष्णुपुराण का पाठ करें| अगर अपने रत भर दिए जलाय है तो अगले दिन चौकी उठाने से पहले उसे शांत जरूर होने दे और फिर आरती करके चौकी तो हटाय और जो भी सरे फूल पत्ते या पूजा में इस्तेमाल किये गए सामग्री है उसे जल में प्रबाहित कर दे|

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