कैसे करें संक्षिप्त जगद्धात्री धूप पूजन [Maa Jagaddhatri Dhoop Puja]


वैसे तो जगद्धात्री पूजा एक महा पूजा है और इसे कई तरह के विधि विधान के साथ ही संपन्न किया जाता है पर अगर आप घर पे माँ जगद्धात्री की पूजा करना चाहे तो किस सहज पद्धति से कर सकते हैं यह हम आपको यहाँ बताने जा रहे हैं| पहले इस बात को ध्यान में रखे कि अगर आप घर पे संक्षिप्त पूजा या धूप पूजा कर रहे हैं तो मूर्ति नहीं छवि में ही पूजा आरती सम्पन्न करें| पूजा के सामग्री में पुष्प, रक्त और श्वेत चन्दन, बिल्वपत्र, धूप, दीप, आरती के लिए धुनुची और पंचप्रदीप तथा आचमन के लिए आचमन पात्र और आचमनी ले साथ में अगर माँ को भोग चढ़ाना कहते हैं तो अपने मन पसंद भोग अपने पूजा में जरूर रखे| भोग या अलग से कोई नैवेद्य आप न भी चढ़ा पाए तो आप नारियल प्रसाद के रूप में चढ़ा सकते हैं| 

सबसे पहले पूजा के सरे सामग्री ठीक से सजा ले और पुष्प पात्र में चन्दन, बिल्वपत्र, अक्षत, चन्दन रखले याद रखे जगद्धात्री पूजा में दूर्वा नहीं चढाई जाती है| माँ के सामने कलश स्थाप करें और दोनों तरफ घी के दीपक जलाकर रखे साथ ही दो पीतल के धुनुची में धूप भी जला दे| अब पांच उपचार से पूजा करें और फिर धूप दीप से संक्षिप्त आरती करें इसके बाद पुष्पांजलि और अगर आप माँ को पूरी,सब्जी, हलवे की भोग लगाना चाहे तो लगाकर पंच उपचार के साथ आरती करें| एक बात याद रखे की जङ्घतृ पूजा में नवमी के दिन ही तीन बार आपको पूजा आरती या फिर कम से कम संक्षिप्त आरती करनी होती हैं| सुबह पूजा के बाद मध्यान्ह 12 बजे से पहले भोग लगाकर भोग आरती करके उसके बाद  एकबार फिर पूजा करके आरती और संध्या से पहले एकबार फिर पूजा करके आरती| आप कहें तो केवल पुष्पांजलि के साथ आरती कर सकते हैं पर तीनबार आरती करना बहुत ही जरुरी होती है| पूजा सम्पूर्ण होने के बाद संध्या के समय पुरे घर में धूप जरूर करें और साथ में सम्पूर्ण आरती करें| यद् रखे माँ को धूप की सुगंध सबसे ज्यादा प्यारी हैं इसलिए धूप माँ की सामने हर समय जरूर जलाके रखे| आरती के बाद सब में आरती जरूर बांट दे| अगर संभव तो तो इस दिन कम से कम एक कन्या को फलाहार या अच्छे से भोजन करवाने से कन्या पूजन के पुण्य मिलता है| पर क्यों के यह धूप पूजन है इसलिए धूप मायके दोनों तरह पीतल के धुनुची में जलाकर ही धूप आरती तथा आरती करनी चाहिए| 

अगर आप नवमी के दिन पूजा कर रहे हैं तो अगले दिन यानि दशमी के दिन सुबह 12 बजे से पहले ही एकबार आरती जरूर करें और फिर माँ को पाटा या चौकि से उतारकर घाट विसर्जन करें| विसर्जन से पहले भी एकबार आरती करें और माँ से क्षमा याचना करें की माँ आपके पूजा हमने अपने साध्य अनुसार संपन्न किया है अगर कोई भूल या गलत क्रिया हमसे हुई हो तो आप हमें क्षमा करें और आप हमारे ह्रदय में विराजमान रहकर अगले सल फिरसे हमारी पूजा जरूर ग्रहण करें| इसके बाद ही पूजा के सामान और घाट को जल में या अपने बगीचे में छोटा या तालाब का आकार बनाकर उसमे बिसर्जित कर दे| माँ की जिस चाबी पे अपने पूजा की है उसमे सुबह और संध्या के समय धूप-दीप जरूर दिखाय|

जगद्धात्री पूजा मंत्र - ॐ दुं जगद्धात्री दुर्गा देव्यै नमः 

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