घर पे कैसे करें देव दीपावली आरती [Dev Deepawali Aarti Ghar pe]


अगर आप घर पे देव दीपावली की आरती करना चाहते हैं तो भी आप बहुत ही आसानी से कर सकते हैं| घर पे आप अपनी मंदिर में ही आरती सकते हैं और अगर आपके घर पे मंदिर नहीं हैं पर फिर भी आप आरती करना चाहते हैं इस दिन तो आप जिस भी देवता की पूजा करना चाहते हैं या जिस भी देवता को मानते हैं उनकी फोटो रख ले और अच्छे से फूल, माला, चन्दन से सजा ले उसके बाद अगर हो सके तो दीपक जलाकर पुरे घर को रौशन कर ले| धुनुची में धूप जलाय और पुरे घर को धूप के खुशबु से महका दे| घर पे आरती वैसे तो हम एक जन ही करते हैं पर अगर आप देव दीपावली के दिन आरती करते हैं तो कम से कम हो सके तो दो जन मिलके आरती करें| मलीहा या पुरुष कोई भी इस आरती को कर सकते हैं| पति और पत्नी या दोनों भाई भी इस आरती को कर सकते हैं| अगर अपने बनारस की गंगा आरती देखि है तो बिलकुल उसी तरह धूप और डीप को सजा ले| बहुत से लोग जो बनारस जाकर अब तक गंगा आरती नहीं देख पाएं हैं वह यूट्यूब पर भी गंगा आरती एकबार 
देख ले सकते हैं| आती शुरू से पहले पुष्पांजलि प्रदान करें और फिर सबसे पहले धूप यानि पीतल के धुनुची लेकर आरती शुरू करें| अगर आप खुद आरती गए पते हैं तो बहुत ही अच्छा हैं पर अगर आप नहीं गा पाते हैं तो ऑडियो चलाकर भी आरती कर सकते हैं|  धूप के बाद पंचप्रदीप, सप्तप्रदीप या इक्कीस दीपकवाले दीपदानी से आरती करें इसके बाद कपूर से जलपूर्ण शंख, वस्त्र, पुष्प और चंवर से आरती करें| शंख ध्वनि के साथ आरती शुरू करें और घंटा ध्वनि के साथ सम्पूर्ण आरती करते हुए अंत में शंख ध्वनि के साथ आरती को संपन्न करें| अगर आपके पास आरती के बहुत से संसाधन नहीं है तो बिलकुल भी चिंता न करें केवल धूप और दीपमाला से भी आप आरती कर सकते हैं| पर आरती के समय दो जान अलग अलग दो धुनुची और आरती दीपक लेकर ही आरती करें तभी देव दीपवाली की यह आरती मनोरम होगी|

देव दीपवाली वैसे तो बनारस की गंगा घाट में ही सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हैं पर आज जहा जहा नदी किनारे आरती होती है वह देव दीपवाली के दिन मनोहारी आरती की जाती है| आप अगर घर पे ही देव दीपावली मनाते हैं तो वह भी एक बहुत ही सुन्दर वातावरण बनेगा जिसमे आपको बनारस के गंगा घाट की आरती जैसे थोड़ी सी अनुभूति जरूर होगी| इसलिए मन में किसी भी तरह के कोई किन्तु परन्तु न रखकर घर पे ही देव दीपावली मनाय| ध्यान में रखिये की किसी भी उत्सव की आरती आप अपने हातों से कर सकते हैं इसमें कोई भी बाधा या निषेध नहीं है और अपने हातों से आरती करके उत्सव मनाने का जो आनंद महसूस होता है वह शायद किसी आडम्बरता में नहीं है|

ध्यान रखे की अगर आप संध्या आरती करते हैं तो आपको सुबह एक बार आरती जरूर करना ही चाहिए| मंगल या धूप आरती पूर्णिमा रहते हुए सुबह जरूर एकबार करें| 

उदया तिथि में पूर्णिमा : सुबह 11.42 मिनिट तक (कार्तिक पूर्णिमा, वैष्णव मत से रास पूर्णिमा, देव दीपावली आरती)

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