काशी की देव दीपावली आरती [Dev Deepawali Varansi]
दीपावली यानि की लक्ष्मीपूजा के ठीक 15 दिन बाद मनाई जाती है देव दीपावली| यह वैसे तो बनारस में गंगा आरती करके मनाई जाती है जब हर एक घाट पर 108 पुरोहित मिलकर आरती करते हैं और दीपों के ज्योति से जगमगाह उठता है पूरा बनारस| कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है देवों के यह दीपावली| यह उत्सव मनाने के पीछे कारण यह है कि देवउठनी एकादशी के चार माह बाद भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं और इस प्रसन्नता में सभी देवता स्वर्ग से आ कर काशी के गंगा घाटों पर दिवाली मनाते हैं और आरती करते हैं| इसलिए हर साल यहाँ गंगा के 84 घाटों पर ही दीपावली मनाई जाती है|
देव दीपावली के दिन धूप यानि धुनुची में धूप जलाकर ही आरती शुरू होती है उसके बाद दीपमाला से आरती होती हैं साथ ही कपूर, जलपूर्णशंख, वस्त्र, पुष्प, मोर पंख और चंवर से आरती की जाती है| शंख नाद से आरती शुरू होती है और शंख नाद से ही आरती संपन्न होती है| धूप के साथ 'जय जय भगीरथ नंदिनी' वंदन करके आरती शुरू होती है| पुरे गंगा घाट पे दीपों से रौशनी की जाती है और धूप के सुगंध से भी पुरे घाट जगमह उठता है| कहता है काशी की गंगा आरती अगर आप देव दीपावली यानि कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रत्यक्ष करते हैं तो आपको एक मनोरम आनंद मिलता है जो आपको स्वर्ग की सुंदरता का एहसास करवाता है| काशी में दीपावली से लेकर देव दीपावली तक एक अलग ही रौनक बानी रहती हैं|

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