सुबह बनारस - बनारस और सुबह की आरती [Assi Ghat Ganga Aarti]


बनारस की अगर बात करें तो वह आरती के बिना अधूरा है| कहते हैं आरती और बनारस एक दूसरे के अभिन्न अंग है| वैसे अगर बनारस की आरती के बारे में बात की जाये तो हमे संध्या समय की आरतीवाले छवि ही सबसे पहले मन में आ जाती है पर बनारस में केवल संध्या आरती ही नहीं बल्कि सुबह के मंगल आरती भी धीरे धीरे लोकप्रिय होता जा रहा है| वैसे बनारस की अपनी भाषा में इसे सुबह-बनारस कहते हैं| अगर आप बनारस की संध्या आरती की साक्षी रहे हैं तो आपको एकबार बनारस की भोरकालीन आरती को भी साक्षात करना चाहिए| आज बनारस की हर घाट में ही आरती होती है पर दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती सबसे प्रसिद्ध है बहुत सरे लोगों सईद यह जानकारी नहीं रखते हैं कि दशाश्वमेध घाट पर सुबह भी एक आरती होती है| एक पुरोहित इस आरती को करते हैं इस लिए इसे एक आरती कहते हैं|

सुबह की सबसे सुन्दर और मनोरम गंगा आरती अस्सी घाट पर अनुष्ठित होती है| सप्त पुरोहित मिलके सुबह की आरती करते हैं| पहले धुनुची धूप से धूप आरती की जाती है शंख नाड के साथ इस धूप आरती से ही आरती शुरू की जाती है और इसके बाद एक के कर आरती दीपक, कर्पूर, शंखजल, वस्त्र, पुष्प, मोर पंख के पंखा और चंवर से आरती संपन्न की जाती है साथ में होती है वेद मंत्र के उच्चारण| अस्सी घाट पे गंगा के दूसरे घाटों की तरह ही संध्या आरती होती है पर यहाँ सुबह के आरती ही सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है| इसलिए अगर आप इसबार बनारस जाये तो जरूर अस्सी घाट पर सुबह बनारस की आरती देखिये यह हर रोज सुबह गर्मी के समय 5 बजे और सर्दी के मौसम में 6 बजे आरती होती है| सुबह के धूप के सुगंध और दीप के रौशनी के साथ सूर्यादय एक अलग सुबह लेकर आती है जो उपलब्धि हमारे जीवन भर के एक यादगार पल के रूप में शामिल हो जाता है|

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