बंगाल में क्यों मनाई जाती है जगद्धात्रीपूजा [Jagaddhatri Puja 2018]



बहुत से लोग नहीं जानते की बंगाल में दुर्गापूजा के एक महीने बाद ही फिरसे दुर्गापूजा मनाई जाती है तो जगद्धात्री पूजा के नाम से प्रसिद्ध है| कहते हैं जो लोग पांच दिन तक दुर्गापूजा नहीं कर पाते हैं वह अगर दो दिन की जगद्धात्री पूजा ही कर ले तो उन्हें सम्पूर्ण दुर्गापूजा करने का फल मिल जाता हैं| यह पूजा नवमी के दिन की जाती है जो सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक तीन प्रहार मन कर पूजा करनी होती है साथ ही 108 दीपक जलाकर संधिपूजा भी की जाती है और साथ में धुनुची में  जलाकर धूप पूजा भी करनी होती है| कुछ लोग जगद्धात्री पूजा को दुर्गापूजा के तरह ही पांच दिन मनाते हैं और कुछ जगह पर अष्टमी और नवमी दोनों तिथिको लेकर यह पूजा की जाती है पर साधारण रूप से यह एक दिन यानि अक्षय नवमी या दुर्गानवमी यानि कार्तिक शुक्ल पक्ष नवमी के दिन ही सम्पूर्ण विधि से की जाती है| यह पूजा माँ की दुर्गा रूप की ही पूजा है इसलिए इसमें लगनेवाले पूजा सामग्री भी सम्पूर्ण दुर्गापूजा सामग्री की ही सामान है| जगद्धात्री पूजा में सुबह सात्विक रूप से, मध्यान्ह में राजसिक रूप से और दोपहर के बाद तामसिक रूप में पूजा की जाती है, तामसिक पूजा मूल रूप से तांत्रिक पूजा है और यह तीन गुणों की समाहार से ही की जाती है | हर पूजा के बाद और पूजा करते समय तथा संध्या आरती को लेकर पांचबार आरती करनी होती है| दशमी के दिन सुबह आरती करने के बाद जो लोग छवि में पूजा करते हैं वह पता उठा सकते हैं और जो लोग प्रतिमा में पूजा करते हैं वह जल विसर्जन कर सकते हैं| इसबार जगद्धात्रीपूजा 17 नवंबर को है| यह पूजा बंगाल में और बिहार में ही सबसे ज्यादा मनाई जाती है  बनारस के कुछ जगह पर भी यह पूजा आयोजित की जाती है|

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नैवेद्य और प्रसाद क्या होता है [Naivedya aur Prasda]

आगम और धूप दीप पूजा आरती

शिवपूजा धूप निवेदन और आरती मंत्र [Shivratri Dhoop aur Aarti puja Mantra]