दीपावली पर माँ काली की धूना आरती [Maa kali ki Aarti]


दीपावली पर वैसे तो माँ लक्ष्मी की पूजा की जाती है पर इस दिन मध्य रात्रि में यानि अमावस्या तिथि की मध्य रात्रि में काली माँ की पूजा भी की जाती है जिससे किसी भी प्रकार के कोई बुरी दोष से आप तिजत प् सकते हैं| हर किसी के लिए अपने घर पे कालीपूजा करना संभव नहीं होता हैं और नहीं सबके घर के आसपास कालीबाड़ी या कालीमंदिर होती है| पर अगर आप फिर भी माँ काली की पूजा करना कहते हैं तो आपको निराश होने की जरुरत नहीं है यहाँ हम आपको सरल पूजा के बारे में बताते हैं| इसके लिए आपके घर पे माँ की फोटो होना बहुत जरुरी है साथ ही पीतल के धुनुची, मिटटी के एक दिया और पंचप्रदीप| ध्यान में रखे की माँ की मूर्ति नहीं काली माँ की फोटो ही लेना चाहिए क्यों के काली माँ की मूर्ति की पूजा के लिए कुछ विशेष विधि होती है इसलिए आप एक फोटो ही ले| बहुत अकह होगा अगर आप दक्षिणेश्वर माँ काली की फोटो रखेंगे लो आजकल इंटरनेट पे भी मिल जाता है आसानी से|

माँ को धूना पूजा करने के लिए सबसे पहले एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर माँ की फोटो रख ले और फिर सिंदूर रक्त चन्दन का तिलक करे फिर जवाकुसुम के फूल अर्पण करें या कोई लाल फूल जो उपलब्ध हो उसे अर्पण करें| बिल्वपत्र, अक्षत, रक्तचंदन और पुष्प के साथ माँ को अंजली भी प्रदान करें पर उसके पहले धूप यानि धूना प्रज्वलित करें| आप जो पंचपरदीप या मिटटी के दिया जलाएंगे उसे घी से नहीं सरसो के तेल से ही जलाय जी है सरसो के तेल से दिया जलने से नकारत्मकता नष्ट हो जाती है| सबसे पहले धूना और दीप माँ को सपर्पण करें जल के छिड़काव और गन्धपुष्प अक्षत के साथ| अगर आप कर सके तो इस दिन माँ की ध्यान मंत्र जरूर पाठ करें या प्रणाम मंत्र कम से कम जरूर पढ़े| पुष्पांजलि देने के बाद पहले धुनुची (धूप या धूना) से आरती करें और फिर पंचप्रदीप से आरती करें| आरती के बाद धूप और दीप के आरती ग्रहण करें और पुरे घर में माँ की आरती के धूप दिखा दे| ध्यान रखे काली माँ को धूप दिखाकर यानि पूजा करके चौकी भोर न बिलकुल न रखे सूर्योदय से पहले ही उसे उठा ले| इस तरह से आप माँ काली की पूजा यानि धूप-धूना पूजा कर सकते हैं|

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