दक्षिण भारत में कार्तिगाई दीपम नाम से मनाई जाती है देव दीपावली [South Indian Karthigai Deepam]
उत्तर में जैसे लोग कार्तिक अमावस्या पर दीप जलाकर माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं उसी प्रकार दक्षिण में खास कर तमिल और तेलुगु भाषी लोग कार्तिक पूर्णिमाके दिन दीप उत्सव मानते हैं जो कार्तिगाई दीपम के नाम से जाना जाता है| इस दौरान मिटटी के पारंपरिक दीपक जलाकर पुरे घर को रौशन किये जाते हैं और साथ में माँ लक्ष्मी और श्री विष्णु के आरती भी की जाती है| भारत के कई हिस्सों इस दिन भी दीप उत्सव मनाई जाती है जिसमे बनारस की देव दीपावली वर्तमान में सबसे प्रसिद्ध है| दक्षिण में इस दिन दीप उत्सव मनाने की परंपरा काफी पुरानी है और इसे ही दक्षिण की दीपावली भी कहा जाता है| कहते हैं कार्तिक पूर्णिमा माँ लक्ष्मी श्री विष्णु के साथ पृथ्वी भ्रमण करते हैं इसलिए दीप जलाई जाती है ताकि उन्हें रात में भ्रमण करने में कोई समस्या न हो|
देव दीपावली के दिन बनारस में जैसे सारे घाटों और घर को दीप से सजाई जाती है उसी तरह नारियल तेल की दीपक से सारे घर सजाई जाती है तमिलनाडु में और तेलुगुभाषी प्रदेश में भी| धूप और दीप से लक्ष्मी नारयण की आरती भी होती है| कहते हैं मीनाक्षी अम्मा मंदिर में भी इस दिन विशेष आरती होती है| दक्षिण में यह माना जाता हैं की इसदिन जो भी इसिन लक्ष्मी-विष्णु की आरती करके रत भर धूप और दीप जलाकर रखते हैं उनके घर माता लक्ष्मी के साथ श्री हरि विष्णु भ्रमण करने आते हैं| अगर दक्षिण के इस परंपरा को आप भी अपने घर पे करना चाहते हैं तो आप भी आरती करके रत भर धूप-दीप जलाकर रखे काया पता माँ लक्ष्मी संग नारायण इसदिन आपके घर भी भ्रमण करने आये| हो सके तो आंगन में भी रंगोली इस दिन जरूर बनाय|

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