कार्तिक पूर्णिमा में कैसे करें श्री लक्ष्मी दामोदर की आरती [Kartik Purnima me Lakshmi-Damodar puja]


बहुत से जगह पर रास पूर्णिमा यानि कार्तिक पूर्णिमा में लक्ष्मी पूजन या कई पर की जाती है श्री सत्य नारायण कथा| रास पुरनी माँ दिन वैसे तो अगर आप पूजा न भी करें तो घर पे आरती करना बहुत ही सुबह और पॉजिटिव ऊर्जा देनेवाले हैं| इस दिन सुबह सुबह जरूर उठे और उगते हुए सूरज के साथ साथ अपने इष्ट भगवान की मंगल आरती करें साथ पुरे घर पे आरती की धूप दिखाय| कार्तिक पूर्णिमा के दिन बहुत से पूजा के मध्य में सबसे अच्छी और सही पूजा मानी जाती हैं लक्ष्मी जनार्दन की पूजा| यह पूजा करने के लिए कोई भी विशेष विधि की जरुरत नहीं होती है पंच उपचार के साथ ही आप यह पूजा कर सकते हैं| साथ में आरती जरूर करें| सुबह के समय पूजा कर रहे हैं तो केवल एक धुनुची धूप जलाय और अगर संध्या के समय आरती और धूप अर्चन कर रहे हैं तो दो धुनुची जलाय| अगर शुद्ध घी मिले तभी आप पंचप्रदीप में घी के बत्ती जलाय वरना तिल या सरसो के तेल से ही बत्ती बनाय| अगर आप दोपहर में विशेष भोग न भी बना पाए तो नारियल का भोग लगा सकते हैं या गुड़ के साथ नारियल लड्डू बनाकर भी इसे चढ़ा सकते हैं| बतासा और अगर हलवा आप चढ़ा पाये तो भी बहुत ही अच्छा होता है| पिने के लिए साधारण जल जरूर दे| भोग के विषयमे जितना आपसे हो पायेगा उतना ही कीजिये और आरती करें|

सबसे पहले श्री लक्ष्मी दामोदर की एक छवि रख ले पर अगर आपके मंदिर में श्री लक्ष्मी-नारयण  प्रतिष्ठित है तो आप वह ही पूजा कर सकते हैं| नीचे थोड़ा अक्षत बिछाकर कलश को आसान दे और आम के सात पत्ते  या पांच पत्ते और नारियल के साथ कलश स्थापन कर ले| कलश में आप कपूर और चन्दन भी डाक सकते हैं या कच्चे हल्दी के एक टुकड़े भी दाल सकते हैं| एक जलपूर्ण शंख भी कलश के पास रखे| याद रखे नारायण पूजा में कभी भी कोरा अक्षत इस्तेमाल न करें चन्दन और हल्दी के साथ मिलाकर गन्धपुष्प के साथ अर्पण करना चाहिए| चन्दन तिलक और कुमकुम तिलक करें माँ लक्ष्मी को| अब सातबार गन्धपुष्प देकर "श्री लक्ष्मी दामोदराय नमः" कहकर गन्धपुष्प अर्पण करें| अब धूप और दीप से संक्षिप्त आरती करें| इसके बाद भोग नैवेद्य और पानार्थ जल अर्पण करें|

इसके बाद धुनुची, पंचप्रदीप, शंखजल, मोर पंखा से आरती करें शंख नाद करें| दोपहर में अगर हो सके तो समर्थ अनुसार भोग लगे और भोग आरती भी करें| अगर आपके पास भोग लगाने के लिए कुछ भी न हो बिसेष तो केवल मिश्री के शरबत चढ़ाय और आरती करें| आरती के बाद शंख जल से पुरे घर पे छिड़काव करें और धूप भी पुरे घर पे दिखा दे| प्रसाद स्वरुप सबको आरती जरूर दे| संध्या के समय भी पुष्पांजलि और पानार्थ जल चढ़ाकर आरती करें| संध्या के समय सम्पूर्ण आरती करें और धूप विशेष रूप से इस समय दे| अगर हो सके तो दीपक से सजा दे या फिर पुरे घर में रौशनी जरूर करके रखे|

पूजा के लिए जो चीजें जरुरी है वह है - 1) कलश 2) आम के पत्ते 3) नारियल 4) चन्दन 5) पुष्प 6) अक्षत (कोरे और पीले) 7) तुलसी 8) दूर्वा 9) धूप 10) दीप 11) नैवेद्य प्रसाद और पानीय जल 12) धुनुची 13) पंचप्रदीप 14) गुग्गुल 15) कपूर

टिप्पणियाँ

Aaru Garg ने कहा…
Well written and an informative post! I have a keen interest in this topic and have written several blogs on purnima and amavasya, as well. You can check them at mPhanchang.
AmitanduB ने कहा…
Thank You. Yes I will check ofcourse.

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