पूजा में क्यों और कैसे चढ़ाय चावल [Puja me chawal yani aksat yese chaday]
चावल अगर आप रोज पूजा में इस्तेमाल करते हैं तो यह लेख आपके लिए हैं| हम में से बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं की भगवन के पूजा में चावल क्यों चढ़ाते हैं| चावल यानि अरवा चावल को अक्षत ही कहा जाता है| बहुत से लोग बिना अक्षत के ही पूजा करते हैं पर अगर आप पूजा में अक्षत नहीं चढ़ाते हैं तो पूजा को सम्पूर्ण नहीं मानी जाती है इसलिए अक्षत चढ़ाना बहुत ही जरुरी होता है नहीं तो वह पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है| पूजा के मूल जो पांच चीजे जरुरी होती है वह है गंध, पुष्प, अक्षत, धूप और दीप| अक्षत को अनाज के रूप में भी छड़ी जाते हैं क्यों के यह सबसे शुद्ध अनाज होती है जो की धान के भीतर सुरक्षित रहती है| अक्षत चढ़ाने का यही विश्वास होता है की हमारी पूजा सम्पूर्ण हो|
वैसे तो बहुत से देवता को बहुत से सामग्री आप चढ़ा नहीं सकते, जैसे तुलसी को कुमकुम नहीं चढाई जाती और शिवजी को हल्दी नहीं चढ़ती| गणेश पूजा में तुलसी नहीं चढ़ती तो दुर्गापूजा में दूर्वा नहीं चढ़ती लेकिन चावल हर भगवान को चढाई जाती है| वैसे शालिग्राम पर कोरे अक्षत यानि केवल अक्षत नहीं चढ़ाय जाते चन्दन से और हल्दी से रंगे चावल ही विष्णु पूजन में चढाई जाती है| गंधपुष के साथ अक्षत चढ़ाना भी अर्घ्य कहा जाता है| अक्षत को माँ अन्नपूर्णा के स्वरुप भी मानी जाती है| सारे अनाज और अन्न में चावल को भी देवान्न मन जाता है इसलिए भोग में भी चावल चढ़ाते हैं| अगर आप पूजा में अलग से प्रसाद न भी चढ़ाय और केवल अक्षत से ही पूजा करते हैं तो भी पूजा पूर्ण होती है क्यों के चावल को प्रत्यक्ष नैवेद्य माना जाता है इसलिए अगर आप पूजा में अक्षत इस्तेमाल करते हैं तो अलग से प्रसाद न भी चढ़ाय तो कोई समस्या नहीं है| चावल हमारे देश के प्रधान फसल या अनाज होने के कारन भी यह प्राचीन समय से ही पूजा और अन्न शुभ कार्य में इस्तेमाल हो रहा है|
पूजा के समय अक्षत समर्पित करे इस मंत्र के साथ :
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कुंकमाक्ता: सुशोभिता:. मया निवेदिता भक्त्या: गृहाण परमेश्वर॥
अर्थात देवताओं का प्रिय अन्न है चावल, इसे सुगंधित द्रव्य चन्दन कुंकुम के साथ आपको अर्पित कर रहे हैं आप इसे ग्रहण कर इस पूजा को पूर्णता दे|
ध्यान रखे कि पूजा के समय चावल को चन्दन, कुमकुम या हल्दी के साथ चढ़ाना ही सबसे सही होता है पर आप खालि अक्षत भी चढ़ा सकते हैं| पर अगर आप विष्णु पूजा कर रहे हैं तो उसमे केवल अक्षत कभी न चढ़ाय चन्दन या हल्दी के साथ या गंध पुष्प के साथ ही अक्षत को चढ़ाय|

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