माँ तुलसी की धूप-दीप आरती आराधना [Tulsi Maa Aarti]
सुबह और संध्या के समय धूप और पंचप्रदीप के साथ आरती करते समय अगर यह आरती संगीत करेंगे तो बनेगा एक भक्तिमय बातावरण| नीचे सम्पूर्ण आरती आराधना संगीत-
जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता|
जय जय तुलसी माता||
सब योगो के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता|
जय जय तुलसी माता||
बहु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता|
जय जय तुलसी माता||
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी, तुम हो विख्याता|
जय जय तुलसी माता||
लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता|
जय जय तुलसी माता||
हरि को तुम अति प्यारी श्यामवरण सुकुमारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता|
जय जय तुलसी माता||
जय जय तुलसी माता
सब जग की सुख दाता, वर दाता|
जय जय तुलसी माता||
सब योगो के ऊपर, सब रोगों के ऊपर
रुज से रक्षा करके भव त्राता|
जय जय तुलसी माता||
बहु पुत्री हे श्यामा, सुर बल्ली हे ग्राम्या
विष्णु प्रिये जो तुमको सेवे, सो नर तर जाता|
जय जय तुलसी माता||
हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वन्दित
पतित जनो की तारिणी, तुम हो विख्याता|
जय जय तुलसी माता||
लेकर जन्म विजन में आई दिव्य भवन में
मानवलोक तुम्ही से सुख संपति पाता|
जय जय तुलसी माता||
हरि को तुम अति प्यारी श्यामवरण सुकुमारी
प्रेम अजब हैं उनका तुमसे कैसा नाता|
जय जय तुलसी माता||
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