पूजा में चन्दन और पुष्प चढ़ाकर ही धूप दिखाय [Puja me chandan aur pushp dikhakar dhoop dikhay]
पूजा के समय धूप दिखाना या चढ़ाना एक विशेष परंपरा तो है पर क्या हम इसके सही से और सठीक क्रम के साथ पालन करते हैं| घर पे वैसे तो हम रोज पूजा और आरती करते ही है पर उसके साथ साथ किस सामग्री के बाद किस सामग्री को निवेदन करना होगा यह भी जानना बहुत ही जरुरी है जैसे अगर हम पूजा के शुरू में ही धूप दिखा दे या फिर भोग लगा दे तो यह बिलकुल भी सही कार्य नहीं होता है क्यों के हम भगवन को अपने परिवार का ही सदस्य मानते हैं इसलिए जैसे हम एक क्रम के बाद दूसरे क्रम को करते हैं उसी तरह से ही भगवान की सेवा पूजा करनी चाहिए|
पूजा शुरू करने के सबसे पहले इसे आप चन्दन जल या तुलसी जल या गंगा जल का उपयोग करें और भगवान के ऊपर थोड़ा थोड़ा छिड़क दे इसके बाद भगवान को तिलक करें यानि चन्दन और सिंदूर या हल्दी जिसे भी आप तिलक लगते हैं उससे तिलक जरूर करें उसके बाद भगवान को पुष्प चढ़ाय और पुष्प माला भी चढ़ाय अगर आप शिव पूजा कर रहे हैं या गणपति पूजा कर रहे हैं तो बेलपत्ते और दूर्वा भी जरूर चढ़ाय इस दौरान| इसके बाद गन्धपुष्प के साथ अक्षत अर्पण करें जिसे एक तरह से अर्घ्य भी कहा जाता हैं| अब धूप प्रज्वलित करें या फिर पहले से ही प्रज्वलित धूप को निवेदन करके भगवान को आरती की तरह धूप दिखाय| इसके बाद अगर आप दीप दिखाना चाहे तो दीप भी दिखाय वैसे बहुत से जगह पर एक दीप नहीं जलाय जाते हैं सीधे पंचप्रदीप से आरती की जाती है, तो इसमें आप अपने परिवार के परंपरा या अपने पसंद के अनुसार कर सकते हैं| दीप दिखने के बाद हात धो जरूर ले और उसके बाद अगर आप कोई भोग भगवान को चढ़ाना कहते हैं तो उसे चढ़ाय और उसके ऊपर आचमनी पात्र से जल का छिड़काव करें| अब पुष्पांजलि प्रदान करें और धुनुची, पंचप्रदीप से आरती करें| आरती के बाद आचमनी से जल छिड़काव करते हुए सबमें आरती और प्रसाद जरूर बांट दे|
ध्यान रखे कि चन्दन और पुष्प चढ़ाने से पहले धूप न दिखाय अगर आप कहें तो मंगल आरती कर सकते हैं धूप-दीप से पर उपचार की तरह अगर आप धूप निवेदन करते हैं तो वह आप चन्दन,पुष्प. अक्षत चढ़ाने के बाद ही दिखाय| इसे धूप पूजा भी कहते हैं आसान भाषा में|

टिप्पणियाँ