पंच उपचार पूजा के निवेदन मंत्र [Panch Upchar Puja ke Nivedan Mantra]


हम पंच उपचार पूजा किस तरह से करते हैं इस बारे में पहले ही ब्लॉग लिख चुके हैं पर आज जानेंगे कि पंच उपचार के वस्तुओं को चढ़ाने के लिए किस तरह से मन्त्र का प्रयोग किया जाता है| जैसे कि आप सभी जानते हैं कि पंच उपचार में मूलत गंध, पुष्प, अक्षत, धूप और दीप निवेदन करनी होती है| एक एक करके आइये जानते हैं| यहाँ पर हम धूप मंत्र को विस्तार से बताएँगे ताकि अगर आपको धूप पूजन करना हे केवल तो आप इस मंत्र का उपयोग कर सकते हैं|

गंध (चन्दन)
एतस्मै गंधाय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें)
एत गंधपुष्पेगंधाय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे)
एष गन्धः अमुक देवताय और देव्यै नमः|

पुष्प (फूल)
एतस्मै पुष्पाय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें)
एत गंधपुष्पे पुष्पाय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे)
एतद पुष्पं अमुक देवताय और देव्यै नमः|

अक्षत (अरवा चावल)
एतस्मै अक्षताय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें)
एत गंधपुष्पे अक्षताय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे)
एतद अक्षतः अमुक देवताय और देव्यै नमः|

धूप (धुनुची धूप)
एतस्मै धूपाय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें)
एत गंधपुष्पे धूपाय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे)
वनस्पति रसोद्भुत गन्धाढ्य सुमनोहरः|
मया निवेदिता भक्त धूपहयं प्रतिगृह्यतम||
एष धूपः अमुक देवताय और देव्यै नमः|

दीप (एक दीपक)
एतस्मै दीपाय नमः| (तीनबार आचमनी से पानी का छिड़काव करें)
एत गंधपुष्पे दीपाय नमः| (चन्दन सहित पुष्प दे)
एष दीपः अमुक देवताय और देव्यै नमः|

पंच उपचार पूजा के बाद ही आरती करें अगर आप फल, शर्करा, बतासा या फिर कुछ भी चढ़ाना कहते हैं तो चढ़ा सकते हैं पर उसे पहले से खुले हुए न रखे. पंच उपचार पूजा के बाद ही संक्षिप्त आरती करें और भोग निदेवन करके आरती करें| आरती के बाद धूप और दीप प्रसाद रूप में ग्रहण करें और पुष्प, चन्दन और अक्षत को भी सिर पर ले|

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