गुप्त नवरात्रि में करें माँ अम्बे की धुनुची आरती [Gupt Navratri Me kare Dhunuchi Aarti]
गुप्त नवरात्रि वैसे तो गृहस्थ नहीं मनाते हैं पर अगर आप चाहे तो इस दौरान माँ की धूप से आराधना और आरती कर सकते हैं| पर इस दौरान कोई भी भोग प्रसाद या फल माँ को चढ़ाकर ग्रहण न करें क्यों की यह उपासना का समय है नाकि किसी कामना के पूजा के इसलिए केवल माँ की धूप और आरती ही करें| आप चाहे तो कलश स्थापना कर सकते हैं नारियल के साथ नवरात्रि के साक्षी स्वरुप पर कोई भी फल या कुछ भी भोग न चढ़ाय केवल आराधना करें| गुप्त नवरात्रि साधकों के लिए होता हैं इसलिए गृहस्त इसे केवल आराधना के तौर पर ही मनाय नाकि कोई पूजा के तौर पर| यह उपासना और साधना का समय होता है इसलिए इस समय सबसे अच्छा होता हैं माँ की धुनुची धूप से आराधना और आरती करना|
वर्ष 2019 में गुप्त नवरात्र माघ माह के शुक्ल पक्ष में 5 फरवरी से शुरू हो रही है, जिसका समापन 14 फरवरी को होगा| गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ माह के शुक्ल पक्ष में मनाई जाती है| तंत्र पूजा के लिए गुप्त नवरात्रि को बहुत खास माना जाता है जो मूल रूप से माँ के उपासना के लिए होती है|
माँ को पहले एक आसन दे और हो सके तो उसमे लाल रंग के कपड़े बिछा दे| अब माँ की छवि या मूर्ति को रखकर कलश स्थापना करें और साथ ही माँ को लाल रंग के पुष्प के हार, लालचन्दन सहित पुष्प, बेल पत्ते और अक्षत चढ़ाय मूल मंत्र के साथ| पीतल के धुनुची में राल और गुग्गुल से धूप जलाय और उसे निवेदन करते हुए माँ को दिखाय| अब माँ की ध्यान मंत्र के साथ ध्यान करें या फिर मूल मंत्र 28 बार जाप करें| अगर लाल कमल के पुष्प या फिर 28 बिल्वपत्र माँ को चढ़ा पाए तो भी चढ़ा सकते हैं| माँ को 28 दीपक भी चढ़ा सकते हैं पर ध्यान रखे दीपक सारे सरसो के तेल या तिल के तेल से ही जलाना चाहिए| अब पुष्पांजलि प्रदान करें और फिर पीतल के धुनुची में कपूर, गुग्गुल, धूना जलाके उसे धूप आरती मंत्र के साथ निवेदन करें और उसके बाद उससे आरती करें और उसके बाद पंच दीपक जलाकर आरती करें| एक दीपक से आरती न करें और ना ही मिटटी के धुनुची से आरती करें| आरती के बाद धूप और दीप ही केवल प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और कोई भी खाने की वस्तु इसमें उपयोग न करें यह साधना की पूजा है कामना की पूजा नहीं है इसलिए कोई भी खाद्य वस्तु ग्रहण न करें| याद रखे की गुप्त नवरात्रि पूजा साधना की आराधना की होती है किसी भी प्रकार की कामना और चाहने की पूजा नहीं होती है| इसलिए इसमें माँ को दो धुनुची धूप से आराधना और आरती ही सबसे अच्छी और सही होती है| अगर सम्भव हो दिन में चार बार आप धूप सेवा के साथ आरती भी कर सकते हैं इन दिनों| धूप के धुंए को वैराग्य का प्रतीक माना जाता है और प्राण वायु स्वरुप भी माना जाता है और पंचदीपक को पंच इन्द्रिय के प्रतीक| इसलिए गुप्त नवरात्रि में अगर आप माँ की उपासना करना चाहते हैं तो माँ की धूप धुनुची आरती ही मूल रूप से करें|
टिप्पणियाँ
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