धूप आरती और धूप करने में क्या अंतर है [Dhoop Aarti aur Dhoop Karna]


बहुत से लोग धूप आरती और धूप करने में फर्क को समझ नहीं पते हैं, इसलिए आज हम आपको इन दोनों के बिच के फर्क को बता ररहे हैं| धूप करना या धूप देना उसे कहते हैं जिसे आप केवल धूप जलाके भगवान को दिखाते हैं या जिसे धूप अर्चन भी कहा जाता है| पर अगर आप धूप आरती करना चाहते हैं तो आपको धूप निवेदन करके आरती करने की साथ साथ दीप यानि पंचदीपक जलाकर भी आरती करनी ही होगी तभी आरती सम्पूर्ण मानी जाएगी| धूप आरती के समय अगर केवल धूप से ही आरती करें तो वह सम्पूर्ण धूप आरती नहीं होती है, धूप और दीप दोनों के साथ आरती करने पर ही उसे सम्पूर्ण धूप आरती मानी जाएगी| धूप के विषय पर यह ध्यान रखना बहुत ही जरुरी है कि अगरबत्ती या धूपबत्ती से कभी भी धूप आरती नहीं होती है केवल पीतल के धुनुची में जिसे कुछ प्रदेश में धूपचि भी कहते हैं उसमें धूना, गुग्गुल जलाकर ही आरती करनी होती है| धूप आरती में गोबर के कंडे भी जलाय जाते हैं या फिर नारियल के खोल से भी जलाय जाते हैं| कहते हैं नारियल के खोल के साथ धूप जलाने से  उसके धुंआ सकारात्मक होता हैं जो नैवेद्य स्वरुप ईश्वर ग्रहण करते हैं| धूप, दीप यह देवताओं के नैवेद्य भी होता हैं इसलिए इसे हमेशा प्राकृतिक तरीके से ही जलाय नाकि किसी अप्राकृतिक तरीके से| 

टिप्पणियाँ

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