नैवेद्य और प्रसाद क्या होता है [Naivedya aur Prasda]
हम भगवान की रोज पूजा करते है और साथ में कुछ नैवेद्य चढ़ाते ही है, जैसे धूप, दीप, फल, मिठाई या फिर पुष्प| नैवेद्य का मतलब होता है जो भी हम निवेदन करते है भगवान को| निवेदन करने के बाद यह प्रसाद बन जाता है| पर हम अपने मन में अक्सर यह धारणा पालते रहते हैं कि केवल जो खाद्य सामग्री हम चढ़ा रहे हैं वही नैवेद्य है, पर यह धारणा सम्पूर्ण सही नहीं है| भगवान को चढ़ाया गया हर कोई वस्तु नैवेद्य ही होता है इसलिए कई जगह पर अलग अलग पूजा के नियम भी दिखाई देते हैं, जैसे धूप पूजन, दीप आराधना पूजन, भोग आरती इत्यादि| अर्थात धूप जो आप चढ़ा रहे हैं वह भी नैवेद्य है, दीप से ही केवल आराधना किया जाता है वह भी नैवेद्य ही है, जो प्रसाद चढ़ाकर पूजा किया जाता है वह भी नैवेद्य ही है| तो हर वह बस्तु जो हम भगवान को चढ़ाते हैं वह नैवेद्य है जो भगवान को अर्पण करने के बाद प्रसाद बन जाता है| इसलिए केवल खाना और चढ़े गए भोग ही केवल नैवेद्य नहीं होता है तो जो भी आप भगवान को निवेदन करते है उसे ही नैवेद्य कहते हैं, नैवेद्य का सही अर्थ शव्दकोष में दिया गया है वह है जो भी वस्तु अपने आराध्य को हम निवेदन करते हैं| निवेदन के बाद कोई भी ...

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