आरती दीये के लिए रुई की बाती [Cotton wick for Aarti diya]
आरती के लिए हमेशा ही रुई की बाती चाहिए होती है जो की आजकल बाजार में भी आसानी से मिल जाती है पर अगर आप घर पे बाती बनाएंगे तो आपके दीये के लिए सबसे ज्यादा सही होता है| वैसे तो बाती दो तरह के होते हैं एक लम्बेवाले बाती जो अक्सर तेल के दीये में इस्तेमाल होता है और एक आरती के दीये के लिए घी वाली बाती| वैसे घी के लिए बाती जो बनाए जाते हैं वो आप तेल से भी इस्तेमाल कर सकते हैं|
सबसे पहले बाजार से सही और अच्छी रुई लेकर आइए जो की आपको किसी भी पूजा भंडार में मिल सकता है| रुई को लम्बे मात्रा में ले लें और अपने दोनों हतेली से उसे पकाके यानि मोड़के अच्छे से लम्बेवाली बाती बना लें| अब आरती दीये के लिए बाती बनाना है तो पहले पर्याप्त मात्रा में रुई ले लें और फिर उसे पुरा गोलाकार में फैला ले जैसे मोदक बनाते समय हम आटे को गोलाकार में फैलते हैं अब उसे मोदक की आकार में ही अच्छे से मोड़के के जोड़ दे और ऐसे ही दूसरे आरती के बाती बना ले| बाती दीये के प्रकार के हिसाब से छोटे या बड़े बनाया जा सकता है| अगर आप एक साथ बहुत ज्यादा बाती बनाके रखेंगे तो यह आपके पूजा के समय अलग से बनाने की जरुरत नहीं होती| वैसे आरती वाली बाती ही ज्यादा प्रचलित है क्यों कि हम उसे रोज की पूजा में इस्तेमाल करते हैं| दीपावली के समय लम्बेवाली बाती के साथ तेल डालकर दीपक जलाई जाती है| दीपक के लिए घी, सरसो के तेल या तिल के तेल ही इस्तेमाल करनी चाहिए क्यों के यह सारे प्राकृतिक बीज से पाई जानीवाली तेल और बिलकुल भी हानिकारण नहीं है|
ध्यान रखे :- अगर आप मिटटी के दीपक जलाते हैं तो उसे एकबार ही जलाय और अगर आप पीतल के दीप या ताम्बे की दीपक जलाते हैं तो यह उसे रोज सही तरह से साफ करने के बाद ही उसे जलाय| इसका कारण यही है क्यों के दीप सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है, इसलिए काले या बिना सफाईवाले दीप से वह सकारात्मक ऊर्जा हमें नहीं मिलती है| अगर आप घर पे आरती करते हैं तो पांच दीपक वाला पंचप्रदीप ही इस्तेमाल करें किसी उत्सव के विशेष पूजा के दौरान सात या इक्कीस दीपक भी आरती के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं|
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