अट्ठाइस दीपक जलाकर करें शिवजी और माता पार्वती की आरती पूजा [Monday puja with 28 diyas]


सावन के आखरी सोमवार वैसे तो आप हर दिन की तरह ही शिवपूजा कर सकते हैं, जिसमे जलाभिषेक, पुष्प, चन्दन, धूप, दीप और साथ में कुछ प्रसाद के रूप में चढ़ा सकते हैं| पर अगर अपने पुरे सावन सोमवार की पूजा सम्पूर्ण निष्ठा से सम्पूर्ण की  हैं तो आखरी सोमवार को १०८ या २८ दीपक जलाकर आरती जरूर करें| किस तरह से करें यह पूजा आरती निचे जाने विस्तार से| एक बार ध्यान रखें की दीपक आप संध्या आरती के समय ही जलाय सुबह के समय सामान्य पूजा ही करें| शिवपूजा रात्रि में ज्यादा फलदायी कहाँ गया है इसलिए संध्या पूजन तथा आरती के समय ही दीपमालाय जलाय|

संध्या के समय धूप से अर्चन करें पहले और फिर बिल्वपत्र और सचन्दन पुष्प से पुष्पांजलि प्रदान करें| अब आरती के पात्र में धूप और पांच बाती जलाकर उसे श्री विश्वनाथ और माता पार्वती को निवेदन कर ले| और उसके साथ ही १०८, २८ या कम से कम २१ मिटटी के दीपक जलाकर उसे निवेदन करते हुए कहें "एष अष्टबिंशति (२८) दीपमालाय ॐ शिवाय नमः"| इसी तरह माँ गौरी को भी दीपमालाय निवेदन करें| इसके बाद धूप से और फिर पंचप्रदीप से निवेदन करें| अगर आप दीपमालाय घी से जला पाए तो बहुत ही अच्छा होता है क्यों के यह बहुत ही एक अच्छी ऊर्जा प्रदान करती है पर अगर आप घी से न भी जला पाए तो तिल अथवा सरसो के तेल से ही दीपक जलाय किसी दूसरे तेल का इस्तेमाल न करें| आरती के बाद प्रणाम करें और सबको प्रसाद स्वरुप धूप दीप आरती जरूर दे साथ में ही इन दीपमालाओं को पुरे घर में दिखा दे और इसके ताप भी घर पे सबको जरूर दे| आरती के बाद पुरे घर पे आचमनी पात्र से शांति जल छिड़के और साथ ही सबको फल, मिठाई जो भी प्रसाद में चढ़ाया हो उसे बितरित कर दे| वैसे संध्या आरती में अलग से प्रसाद न भी रखेंगे तो भी कोई समस्या नहीं है पर हो सकें तो दोनों धुनुची में धूप जरूर जलाय एक भगवान शिव के नाम और एक माता पार्वती के नाम|

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