सावन में महादेव और माता पार्वती की करें धूप आरती [ Shiv Parvati Dhoop Aarti ]
कहते हैं धूप सबसे शुद्ध और सही उपकरण होता है पूजा के लिए| इसलिए अगर आप कभी भी पूजा करें तो धूप जरूर करें और साथ में धूप आरती भी करें| धूप से आरती करने के बाद ही हमेशा घी के पंचप्रदीप जलाकर आरती करें| आरती एक ऐसी प्रक्रिया है जो कोई भी कर सकता है उसके लिए कोई मंत्र या दीक्षा की जरुरत नहीं होती है| सावन में कई तरह के शिव पूजा विधि प्रचलित है और बहुत से भक्त मंदिर में जाकर भी जलाभिषेक करते हैं| पर हर किसी के लिए यह संभव नहीं होता है वो भी भगवन शिव और माता पार्वती की धूप आरती करके उनके आशीर्वाद पा सकते हैं| कहते हैं भगवन शिव आशुतोष हैं इसलिए उन्हें कुछ भी चढ़ाने से वह प्रसन्न हो जाते हैं| धूप का मतलब होता हैं हमारे सारे अहंकार, लोभ, कर्म, अकर्म शुद्ध अग्नि में विसर्जित करके अपने अपने आपको वैराग्य भावना से पवित्र करता, जैसे धूप जलकर ही सुगन्धित करता है| धूप एक निराकार वस्तु का प्रतीक भी हैं जो यह सन्देश देता हैं ही दुनियामे हर भौतिक वस्तु नश्वर है|
धूप आरती के लिए सबसे पहले भगवन भोलेनाथ और माता पार्वती की फोटो स्थापना करें और दो धुनुची प्रस्तुत करें एक विश्वनाथ के लिए और एक अन्नपूर्णा माता पार्वती के लिए| इसके बाद गंध, पुष्प, बिल्वपत्र, अक्षत से सब्सिप्त धूप करें और बोले 'एते गन्धपुष्पे ॐ शिवाय नमः' , 'एते गन्धपुष्पे ॐ भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णा देव्यै नमः' और फिर पहले शिवजी को धूप चढ़ाते हुए बोले 'ॐ शिवाय नमः धूपमाघ्रायामि' एवंमाँ पार्वती को धूप चढ़ाते हुए 'ॐ भगवती माहेश्वरी अन्नपूर्णा देव्यै धूपमाघ्रायामि' कहें| अब पुरे तीनबार पुष्पांजलि दे और धुनुची और घृत पंचप्रदीप लेकर आरती करें| आरती के बाद पुरे घर में दोनों ही धूप घुमा दे और सबको आरती के रूप में धूप, पंचप्रदीप का तप दे| धूप आरती में धूप की पवित्र धुंआ ही प्रसाद होता है| धूप आरती में अगरबत्ती न जलाय| सोमवार के दिन या फिर हो सके तो रोज यह धूप आरती पूजा की जा सकती है|

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