आरती में इस्तेमाल होनेवाले कुछ पात्र [Some vessel for aarti]
वैसे तो आरती के लिए सबसे ज्यादा जरुरी होता है धूप और दीप पात्र| जिसे धुनुची और पंचप्रदीप भी कहते हैं| पर अगर आप सही से आरती करना कहते हैं पुरे विधि विधान के साथ तो कुछ और पात्र भी जरुरी होता है| जरुरी नहीं कि इनमे से सारे पात्र आप उपयोग करे पर अगर आप किसी अनुष्ठानिक पूजा कर रहे हैं तो आपके पूजा को सुन्दर बनाने के लिए यह सारे चीजें बहुत ही जरुरी है| आइये जान ले आरती के ऐसे हे इस्तेमाल होनेवाले पात्र के बारे में|
१. धुनुची/धूपदान :- धुनुची जिसे धूपदान भी कहना जाता है आरती में धूप जलने और साथ ही धूप आरती करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है| यह पीतल के ही होते हैं ज्यादातर पर कुछ जगह चांदी के धुनुची भी इस्तेमाल किये जाते हैं आरती के लिए पर पीतल के धुनुची को सबसे सही और उत्तम माना गया है आरती के लिए|
२. पंचप्रदीप :- आरती के लिए कम से कम पांच बत्ती या फिर सात बत्ती दीपदान होना जरुरी ही होती है| ज्यादातर बाजार में मिलनेवाले आरती दीपदान पांचबत्ती वाले पंचप्रदीप ही है| अगर आप किसी बड़े आयोजन में आरती करना चाहते हैं तो आप इक्कीस दीपक वाले दीपदान भी ले सकते हैं| यह पीतल चांदी और ताम्बे की होती है|
३. आचमन पात्र और आचमनी :- आचमन पात्र से आचमनी की सहायता से जल लेकर आचमन और जल छिड़क कर आरती के सारे वस्तुओं को निवेदन किया जाता है| बहुत से जगह पर आरती के बाद आचमन पात्र के जल को शांति जल के रूप में छिड़क दिया जाता है|
४. जलशंख :- जल भरे शंख को जलशंख कहा जाता है यह शंख आकर में छोटे होते हैं यह आरती के समय भगवान पर जल सिंचन करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है| जलशंख से आरती के साथ साथ ही आरती के बाद इस जल को उपस्थित सबके ऊपर आशीर्वाद स्वरुप छिड़क दिया जाता है|
५. पुष्पपात्र :- इसमें फूल, चन्दन, तुलसी, बिल्वपत्र, अक्षत रखा जाता हैं जो पुष्पांजलि और निवेदन करने के लिए जरुरत होती है| यह पीतल यह ताम्बे की होती है|
६. घंटी :- घंटी बजाकर ही आरती सुरु की जाती है| ज्यादातर घंटी पीतल या कांसे का ही होता है पर कुछ जगह पर चांदी के घंटी इस्तेमाल की जाती है| वैसे तो हर पूजा में ही घंटी बजाय जाती है पर कुछ जगह लक्ष्मीपूजा में घंटी नहीं बजाई जाती है|
७. शंख :- शंख बजाकर आरती शुरू की जाती हैं और आरती समापन भी शंख ध्वनि के साथ ही की जाती हैं| यह शंक बजने के लिए होते हैं और शंख बजने के बाद हमेशा उसे धोकर ही रखना चाहिए|
८. आरती थाली :- इसमें आरती के धूप दीप रखकर आरती की जाती है या फिर आरती करने के बाद इस थाली में आरती किये हुए धूप दीप या कपूर रखकर सबको आरती दिया जाता है|
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