आरती के प्रकार [Types of Aarti]
आरती हम रोज सुबह शाम घर पे करते ही हैं पर क्या आप जानते हैं कि आरती करने के लिए दिन के अलग अलग भाग है और जैसे हम अपने दिनचर्या का पालन करते हैं उसी तरह भगवान के दिनचर्या के अनुसार हम आरती करते हैं| जय से सुबह मंगल आरती शाम को संध्या आरती| वैसे तो दिनचर्या के हिसाव से सुबह मंगल मुहूर्त से लेकर रात तक आरती के पांच प्रकार है पर सात प्रकार से भी भगवान की सेवा आरती की जाती है| पांच समय आरती करने को मंगल आरती, पूजा आरती, भोग आरती, संध्या आरती, शयन आरती कहाँ जाता है कई कई जगह पर मंगल आरती, धूप आरती, पूजा आरती, संध्या आरती और शयन आरती की जाती है| दिन के सात समय आरती में मंगल आरती, धूप आरती, पूजा आरती, भोग आरती, श्रृंगार आरती, संध्या आरती, शयन आरती की जाती है| इसे सुबह से लेकर सहन तक भगवान की दिन चर्या कहाँ जाता है| जैसे मंगल आरती के साथ सुबह निंग से जागना, स्नान करके वस्त्र पहनकर सुगन्धित धूप से धूप आरती, दिन के पूजा के समाप्त के साथ पूजा आरती, मध्यान्ह भोग के साथ भोग आरती, दोपहर के बाद संध्या के लिए श्रृंगार करते हुए श्रृंगार आरती, संध्या के समय धूप अर्चन के साथ संध्या आरती और रात को दिनचर्या ख़तम यानि निद्रा जाने के समय शयन आरती| ज्यादातर भोग और श्रृंगार आरती मंदिर में ही की जाती है दोपहर को राजभोग चढ़ाने के बाद और संध्या आरती से पहले श्रृंगार करते हुए|
१. मंगल आरती
२. पूजा आरती
३. धूप आरती
४. भोग आरती
५. श्रृंगार आरती
६. संध्या आरती
७. शयन आरती

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