शयन आरती [Shayan Aarti]


शयन आरती वह होता है जो भगवान को शयन देते समय किया जाता है| यह आरती बहुत संक्षिप्त होती है| इस आरती की विशेषता यही है की इसमें कभी भी शंख नहीं बजे जाती है जैसे मंगल आरती में शंख बजाकर भी भगवान को उथाय जाता है और फिर आरती की जाती है पर शयन आरती में किसी भी प्रकार की कोई वाद्य नहीं बजाय जाते हैं और खास कर शंख कभी भी नहीं क्यों के शंख जागरण ध्वनि होता है नाकि शयन की ध्वनि| बहुत से जहाज पर बस कप्पोर से ही शयन आरती की जाती है पर धूप-दीप से भी आप साहयण आरती कर सकते हैं| असल में संध्या आरती ही आरती दिन की संपन्न आरती होती है पर हम भगवान को जैसे नींद से उठाते हैं वैसे ही निद्रा लेने के लिए यानि विश्राम के लिए भी निवेदन करते हैं और यही होता है शयन आरती| शयन आरती को ही दिन के समाप्त आरती माना जाता है और फिर दूसरे दिन मंगल आरती से फिर से भगवान की दिनचर्या शुरू होती है|

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

नैवेद्य और प्रसाद क्या होता है [Naivedya aur Prasda]

आगम और धूप दीप पूजा आरती

शिवपूजा धूप निवेदन और आरती मंत्र [Shivratri Dhoop aur Aarti puja Mantra]