नवरात्रि और दुर्गापूजा में कैसे करें माँ दुर्गा की धुनुची आरती [Maa Durga Ki Dhunuchi Dhoop Aarti]


नवरात्रि साल में दोबार हम खासकर मनाते हैं, एक शारदीय नवरात्रि और एक चैत्र नवरात्रि| नवरात्रि माँ दुर्गा की आराधना का समय होता है और इस समय हम माँ की मन भर के सेवा और पूजा करना चाहते हैं| पर आजके हमारे भागदौड़ की जीवनशैली में हमारे पास हर समय इतना समय नहीं होता की हम माँ के नौ दिन तक सही सही आराधन कर सके| पर कुछ ऐसे तरीके हैं जिससे हम माँ की पूजा कर सकते हैं और माँ अम्बे की आशीर्वाद भी पा सकते हैं| ऐसे ही एक प्रक्रिया है धूप पूजा अर्थ्यात केवल धूप से ही माँ की पूजा करना और आरती करना| धूप गुगुल माँ को बहुत ही ज्यादा पसंद है यह माना जाता है इसलिए बंगाल में दुर्गापूजा के समय धुनुची आरती की विशेष व्यबस्था कि जाती है, अष्टमी पर धुना पूजा भी धूप पूजा ही है| इस लिए अगर आपके पास पर्याप्त समय नहीं है तो आप धूप पूजा से भी नवरात्रि के नौ दिन की पूजा कर सकते हैं| आइये जान लेते हैं इसे कैसे करे-

पीतल के धुनुची में धूप करना या आरती करना ही सबसे उत्तम होता है| मिटटी के धुनुची भी धूप करने के लिए इस्तेमाल करते हैं| नारियल के खोल और अच्छे धूप गुगुल से ही धूप जलाना चाहिए| माँ को स्थापित करके पुष्प, अक्षत और लाल चन्दन से पूजा करे| नारियल माँ को अर्पण करे| धूप और दीप जलाय| माँ को धूप दिखाए और धुनुची से आरती करे और उसके बाद घी या सरसो के तेल के दिये अथवा पंचप्रदीप जलाकर माँ की आरती करे और शंख ध्वनि करके माँ को प्रणाम करे| नवरात्रि के नौ दिन इसी तरह से पूजा करे और नवमी के दिन या हो सके तो अष्ठमी नवमी दोनों दिन माँ की सामने दो धुनुची धूप जलाते हुए माँ की भब्य आरती करे| धुप माँ को चढ़ाने के बाद प्रसाद के तौर पर इसे अपने माथे पे आरती की तरह ले और पुरे घर में भी इसे दिखाए| धुप से घर में नकारात्मकता ख़तम होती है सकारात्मक ऊर्जा फैलती है| जो लोग समय के अभाव में नवरात्रि पूजा नहीं कर पाते हैं धूप पूजा के माध्यम से वह भी अच्छी तरह से माँ की पूजा कर सकते हैं| एक बात यहा पर कहना बहुत जरुरी है कि पूजा में अगरबत्ती न जलाय केवल धुनुची धूप से ही माँ की पूजा तथा आरती करे|

आप अगर अपने घर पे नहीं कर पा रहे हैं और आपके आसपास कोई पंडाल या माता की मंदिर है तो आप वहा पर जाकर भी धुनुची धुप जलाकर माँ की आरती कर सकते हैं| आरती आप जहाँ पर भी करें पर धुनुची से आरती करने के बाद उस आरती का ताप सबको से और खुद भी ग्रहण करें| अगर आप पंडाल में आरती करते हैं तो भी कम से कम आप दोबार जरूर आरती करने जाये| केवल धुनुची और घी के पंचप्रदीप लेकर ही आप वहा आरती कर सकते हैं| बहुत से लोग पंडितजी को देकर ही आरती करवाते हैं या फिर आरती के लिए कुछ पैसे दे देते हैं यह बिलकुल सही तरीका नहीं है, आप पंडाल में भी अगर आरती करते हैं तो भी आप खुद जाकर ही करें अपने हात से ही माँ की आरती सेवा करें| 

धुनुची धुप आरती निवेदन मंत्र -

एतस्मै आरात्रिक धूपाय नमः|
एते गन्धपुष्पे आरात्रिक धूपाय नमः|
एतदधिपतय ॐ देवाय श्रीविष्णवे नमः|
एतत सम्प्रदानाय ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः|

ॐ वनस्पति रसों दिव्य गन्धाढ्यः सुमनोहरः |
मया निवेदिता भक्त्या धूपोहयं प्रतिगृह्यताम||

एष आरात्रिक धूपः ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः|

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