कोलकाता के दां परिवार में वैष्णव मत से दुर्गा आराधना [Kolkata Daw Parivar ki DurgaPuja]


अगर आप को वैष्णव दुर्गा पूजा देखने की इच्छा है तो आप कोलकाता के शिवकृष्ण दां भवन में जरूर एकबार आय| वैसे तो दुर्गापूजा शाक्त पूजा है पर कुछ परिवार में माँ की आराधना सम्पूर्ण वैष्णव मत से अनुष्ठित होती है कोलकाता जोड़ासांको दां परिवार भी इस वैष्णव दुर्गापूजा के लिए प्रसिद्ध है| कहते हैं यहाँ माँ आते हैं गहने पहनने| माँ को सम्पूर्ण सोने की गहने से श्रृंगार करवाई जाती है और यह आज से नहीं पूजा के पहले समय से चली आ रही है| वैष्णव मत में पूजा इसलिए इस पूजा में न तो भोग में कोई सामिष भोग चढाई जाती हैं और न ही कोई बलि यहाँ पर होती है| हर संध्या धुनुची धूप के सुगंध के साथ माँ की भव्य आरती की जाती है|

यहाँ नवरात्रि की पहली दिन यानि प्रतिपदा से कल्प शुरू की जाती हैं और उसके बाद छठे दिन षष्ठी तिथि को बेल बृक्ष में आरती करके वोधन अनुष्ठान किया जाता है| इस अनुष्ठान को 'बेलबरण' कहा जाता है| सप्तमी के दिन गंगा घाट पे नवपत्रिका स्नान के बाद माँ की मूर्ति के सामने प्राणप्रतिष्ठा और घटस्थापना होती है| अष्टमी के दिन यहाँ माँ की अष्टमी पूजा के साथ साथ धूना पूजा भी आयोजित होती है| इसके बाद अष्टमी और नवमी के संधि क्षण में संधि पूजा जिसमें माँ को चामुंडा रूप में पूजा जाता है वैसे तो यहाँ वैष्णव मत से पूजा की जाती पर संधि पूजा के समय शाक्त नियम के साथ माँ की आराधना की जाती है, माँ की सामने दो धुनुची में धूप, 108 दीपक, आमान्न फलमूल के साथ रक्त (लाल रंग के) पुष्प और रक्त चन्दन अर्पण की जाती है पर वैष्णव परिवार होने के कारण यहाँ किसी भी प्रकार की कोई बलि नहीं दी जाती है| संधिपूजा के आरती के बाद कोई भी भोग प्रसाद रूप में ग्रहण नहीं किया जाता सम्पूर्ण प्रसाद गुरु परिवार को दान में दिया जाता है क्यों के संधि पूजा शाक्त नियम के साथ की जाती है इसलिए वैष्णव होने के कारण आरती लेने के इलावा कुछ और प्रसाद रूप ग्रहण नहीं किया जाता  है| नवमी के दिन यहाँ कुमारी कन्या पूजन की जाती है और साथ ही हवन करके पूर्णाहुति के साथ दुर्गापूजा संकल्प संपन्न की जाती है| दशमी के दिन सुबह माँ की आरती के बाद दोपहर में माँ को सिंदूर चढाई जाती और फिर गंगा वक्ष में माँ की मूर्ति विसर्जित कर दी जाती है| वैष्णव परिवार होने के कारण पूजा के दिनों में दां परिवार के सारे सदस्य शाकाहारी खाना ही भोजन रूप में लेते हैं| 

छवि : दां परिवार की फेसबुक पेज की सहायता से

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