हवन किये बिना भी कैसे करें नवरात्र हवन पूजा [Navratri Navmi Hawan Vidhi Puja]


नवरात्रि के पूजा सम्पन्न होने के बाद हवन करने की विधान है पर आजकल सभी हवन नहीं कर पाते हैं इसका कारण यह है कि उस समय पंडितजी बहुत कम मिल पाते हैं और अगर मिल भी जाये तो वह बहुत समय देकर हवन नहीं करते, साथ ही खुद से हवन करना भी सबको नहीं आता और अगर खुद से हवन करते भी है तो भी उनका मन उतना संतुष्ट नहीं होता| यहाँ पर में आपको इसके एक उपाय बताऊंगा जिससे आप अलग से बिना हवन किये भी नवरात्रि के हवन कर सकते हैं|

सबसे पहले आप बाजार से अष्टांग और दशांग धूप लेकर आये अथवा घर पे भी उसे बना ले| बहुत से लोग वैसे तो गे के गोबर से बने कंडे पर ही धूप जलाते हैं पर में हमेशा नारियल के सूखे छिलके यानि खोल के साथ ही धूप जलने की सलहा देता हु क्यों के यह आसानी से मिल जाता है धूप जब की कंडे में मिलावट के कारन कई बार वह जलता भी नहीं है| नारियल के छिलके में चंदन, कुष्ठ, नखल, राल, गुड़, अगर जटामांसी, गुग्गुल, केसर, सुगंधबाला तेजपत्ता सभी को समान मात्रा में मिलाकर जलाने से उत्तम धूप बनती है जिसे दशांग धूप कहा जाता है| सबसे पहले कपूर के साथ नारियल के छिलके को जलाय और फिर उसे दशांग और अष्टांग धूप डालकर उसमें शुद्ध घी देकर उसे जलाय और साथ में इसे धूप निवेदन मंत्र से इक्कीस बार धूप उसमें दे कम से कम सात बार धूप धूपपात्र में जरूर दे और उसके बाद उस धूप से आरती करें उसके बाद घी के दीपक जलाकर आरती करें यहाँ पर घी के दीपक ही जलाय पांच या सात बातीवाले| आरती के बाद माँ को प्रणाम करें और विश्व शांति और मंगल की कामना करें, यहाँ पर ध्यान रखें कि हम पुरे जगत के कल्याण कहेंगे तो हमारा कल्याण भी उसमें ही निहित है और इस तरह के प्रार्थना से माँ भी जल्दी प्रसन्न होती है| प्रार्थना के बाद जैसे हम हवन का टिका लगाते हैं बिलकुल उसी श्रद्धा भाव के साथ सबको हवन धूप की धूनी दे और पुरे घर में भी दिखा दे| इस तरह धूप से हवन करने को यज्ञ धूप कहाँ गया है| इसलिए अगर आपके पास हवन करने की समय नहीं हैं या आप खुद हवन करना चाहते  हैं पर उसके विधि के बारे में बहुत अच्छा ज्ञान नहीं है तो आप इस तरह से धूप हवन कर सकते हैं| यह एक विकल्प पद्धति है पर अगर कोई सम्पूर्ण हवन करना चाहते हैं तो उसके लिए वह किसी अच्छे पुरोहित की सहायता लेकर ही करें यह हवन धूप उसके लिए हैं जिनके लिए हवन करना संभव नहीं है पर वह मनमें इच्छा रखते हैं| नवमी के दिन आप पूरी मन से माता की पूजा करें और फिर यज्ञ धूप में धूप आहुति देकर उससे माँ की आरती करें|

दशांग धूप निवेदन मंत्र -

ॐ वनस्पति रसों दिव्य गन्धाढ्यः सुमनोहरः |
मया निवेदिता भक्त्या धूपोहयं प्रतिगृह्यताम||
एष दशांग सुरभिरधूपः ॐ श्रीश्री भगवती दुर्गा देव्यै नमः|

अगर आप अष्टांग धूप निवेदन कर रहे हैं तो इसे अष्टांग बोले या फिर यज्ञ धूप भी बोल सकते हैं| 

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