दीपावली पर कैसे करें माँ लक्ष्मी की आरती पूजन [Diwali MahaLakshmi Aarti]
दीवाली के लिए हम साल भर प्रतीक्षा करते हैं और सोचते हैं की हम इस दिवाली क्या करे और क्या न करे| पर सबसे ज्यादा हम चिंता होती हैं की हम पूजा और आरती कैसे करें माँ लक्ष्मी की क्यों के यही दिवाली की सबसे सुन्दर पल होता हैं जब हम सब मिलके माँ की आरती करते हैं| दीपावली के पूजा को लेकर वैसे तो कई सारे विडिओ और पूजा हमारे यहाँ मौजूद है पर आरती को लेकर अलग से कोई लेख मुझे दिखाई नहीं दिए इसलिए में यहाँ पर आप सभी को दिवाली आरती के बारे में कुछ बात बताना चाहूंगा| वैसे तो लक्ष्मी पूजन में कलश स्थापन करके अपने परिवार के नियम और परंपरा अनुसार लक्ष्मी गणेश या लक्ष्मी नारायण की पूजा कर सकते हैं पर जहा तक मेरी जानकारी है अगर आप दुकान या दफ्तर में पूजा करते हैं तो लक्ष्मी-गणेश की पूजा करें और अगर आप घर पे माँ लक्ष्मी की आराधना करते हैं तो श्रीनारायण के साथ पूजा करें| माँ लक्ष्मी को केवल खली पूजन कभी नहीं करना चाहिए| तो आप कलश स्थापन करके पांच उपचार यानि गंध, पुष्प, अक्षत, धूप, दीप से पूजा करें और मन चाहा भोग भी लगाय| भोग लगाने के बाद अब आती है पुष्पांजलि और आरती की बारी|
आरती करने से पहले दो पीतल धुनुची में धूप, गुग्गुल जलाकर रखे और साथ ही इक्कीस मिटटी के दीपक जलाय और उसके बाद कमल के फूल, गेंदे के फूल, अक्षत, दूर्वा और चन्दन के साथ पुष्पांजलि दे | आप धूप और दीप मलय माँ लक्ष्मी को निवेदन करें| पहले जल छिड़क कर बोले "ॐ एतस्मै धूपाय नमः" अब गंध पुष्प लेकर बोले "एते गन्धपुष्पे एतधिपतय देवाय श्री विष्णवे नमः" फिर से गन्धपुष्प और अक्षत लेकर बोले "एते गन्धपुष्पे श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः" अब धूप को स्पर्श करते हुए कहे "एष धूपः श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः"| इसी प्रकार दीपमालिका यानि इक्कीस दीपक भी माँ को "एष एकविंशति दीपमालाय श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः" कह कर अक्षत से निवेदन करें| इसके बाद घी के बत्ती से पंचप्रदीप जलाके जल छिड़क कर बोले "ॐ एतस्मै नीराजन दीपमालाय नमः" अब गंध पुष्प लेकर बोले "एते गन्धपुष्पे एतधिपतय देवाय श्री विष्णवे नमः" फिर से गन्धपुष्प और अक्षत लेकर बोले "एते गन्धपुष्पे श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः" अब आरती दीपक स्पर्श करते हुए कहे "एष नीराजन दीपमालाय श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः"| इसके बाद धूप हात में लेकर बोले "श्रीं लक्ष्मी देव्यै आरात्रिक धूपमाघ्रपायामि" और धूप से आरती करें, धूप से आरती संपन्न होने पर हत धोकर पंचप्रदीप से आरती करें और कहे "श्रीं लक्ष्मी देव्यै आरात्रिक दीपमालाय दर्शयामि" और इस प्रकार दीप से आरती करें| धूप और दीप से आरती करते समय कम से कम सात बार जरूर दिखाई| आरती के बाद फिर से हत धो ले और सबको धूप-दीप की आरती प्रसाद स्वरुप दे| याद रखे दीपावली पर आरती ही प्रदान होती हैं क्यों के पर्व दीपों की हैं| अब जो इक्कीस दीपक अपने जलाय थे उसे घर के हर कोने में रख दे और इसके बाद सबको जो भी भोग अपने चाहे वह केवल बतासा ही क्यों न हो सबसे बांटे और खुद से उसे ग्रहण करें और मिल बात के खुशिया माने| दीपावली पर शगुन धूप-दीप से ही कर सकते हैं उसके लिए फुलझरी या पटाखे जलना बिलकुल जरुरी नहीं है यह वायु को प्रदुसित करना है तो हमारे सेहत के लिए कभी बुरा होता है|

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