तुलसी विवाह आरती पूजन कैसे करें [Tulsi Vivah Aarti Puja]


वैसे तो तुलसी विवाह और कैसे करने होते हैं यह हम सबको थोड़ा बहुत पता ही है पर यहाँ पर हम पूजा के संक्षिप्त विवरण के साथ कैसे श्री शालिग्राम और तुलसी माँ की आरती करते हैं उस बारे में बात करेंगे| वैसे बहुत से लोग का कहना है की पुरुष या महिला क्या दोनों ही तुलसी पूजन कर सकते हैं? इस बारे में हम बाद में क ब्लॉग जरूर बनाएंगे पर आज तुलसी विवाह के मौके पर हम किस तरह आरती करते हैं इस बारे में बात करेंगे| तुलसी पूजन करने के लिए बहुत ज्यादा सामग्री या सामान की जरुरत नहीं होती है बहुत ही काम और घर पे मौजूद सामान से ही आप तुलसी विवाह पूजन आरती कर सकते हैं| बहुत सरे घर पे वैसे तो शालिग्राम जी को रखकर पूजा नहीं की जाती हैं रोज तो उन्हें बिलकुल भी घबराने की जरुरत नहीं है वह श्री नारायण के एक फोटो रख सकते हैं साथ ही नारियल सहित कलश स्थापना करके भी विधि को सम्पूर्ण किया जा सकता है| बहुत से जगह पर सुपारी से भी यह विधि की जाती है पर अगर कलश पे श्री हरि का ध्यान करके यह विधि संपन्न की जाये तो सबसे अच्छा रहता है|

तुलसी विवाह के लिए तुलसी माँ के गमले, नारायण के चित्र या शालिग्राम जो आपके पास उपलब्ध हो और कलश विधि पुर्बक पहले रख ले| आप अक्षत, पुष्प, चन्दन, हल्दी, कुमकुम, धूप, दीप से पूजा करें और अपने मन चाहा भोग माँ को चढ़ाय| एक बात ध्यान रखे कि पूजा में भोग आप हमेशा अपने पसंद के अनुशार ही चढ़ा सकते हैं क्यों के हम भगवन को वही चढ़ाते हैं जिसे हम उत्तम और अच्छा मानते हैं, इसलिए आप अपने पसंद अनुसार इसे चढ़ा सकते हैं| धूप जलाने के लिए धूना, गुग्गुल, कपूर और अगरु जरूर इस्तेमाल करें| धूप और दीप आप तुलसी माँ और श्री नारायण दोनों के नाम से अलग अलद जलाय इसलिए अगर हो सके तो जुड़वा धूप जलाय| सबसे पहले आचमन करते हुए श्री नारायण की पंच उपचार पूजा करें उसके बाद माता तुलसी की पूजा करें और उसके बाद सतबर तुलसी माँ के गमले और श्री नारायण को लेकर विवाह विधि के अनुसार परिक्रमा करें और उसके बाद रोली, चन्दन, सिंदूर की रसम भी करें| विवाह सम्पूर्ण होने के बाद संक्षिप्त आरती करें और उसके कुछ समय बाद भोग लगाकर सम्पूर्ण आरती करें| आरती के लिए घी या तिल के तेल वाले पंचदीपक, धूप, जलपूर्ण शंख, कमल के फूल और चंवर जरूर इस्तेमाल करें| ज्यादातर लोग सुबह के समय ही तुलसी पूजा करते हैं देवउठनी एकादशी के दिन पर कुछ जगह पर द्वादशी के दिन भी यह पूजा और विवाह अनुष्ठान की जाती हैं| तुलसी पूजा के दिन जो भी आप भोजन में खाये वह शाकाहारी ही हो और उसमे तुलसी डालके ही खाया करें| बहुत अच्छा होगा की आप विवाह भोग के तरह की कुछ शाकाहारी और मिठाई के पद बना ले और हो सके तो सबके साथ मिलके भोजन करें| अगर आप सबको खाना न भी खिला पाए तो भी कोई बात नहीं है सबको धूप-दीप आरती के साथ तुलसी के पत्ते जरूर दे प्रसाद स्वरुप| पुरे घर पे धूप करते हुए भी इस दिन घर के हर कोने में तुलसी के पत्ते जरूर रख दे इससे घर की नकारात्मकता समाप्त हो जाती है|

ध्यान रखे कि तुलसी विवाह के पहले तुलसी जी को नारायण के दाहिने तरफ रखना चाहिए| विवाह के सात परिक्रमा होने के बाद ही तुलसी माँ को नारायण को बाहिने तरफ रखे| आप कहें तो श्री कृष्ण के मूर्ति या मंदिर से शालिग्राम लागर भी यह विवाह पूजा अनुष्ठान आप कर सकते हैं|

तुलसी विवाह पूजन तिथि: सोमवार 19 नवंबर, 2018 देवउठनी एकादशी में तुलसी विवाह संपन्न की जाएगी|  पर तुलसी विवाह एकादशी के अगले दिन यानी कि द्वादशी के दिन भी कई जगह पर होता हैं इसलिए 20 नवंबर, 2018 को कई जगह पर यह मनाया जायेगा|

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