पंचप्रदीप/आरती दिया [panchapredeep]
पंचप्रदीप आरती के लिए इस्तेमाल होने वाले मुख्य पात्र है जिसे आरती दिया भी कहा जाता है, जो घी या तेल की बाती लगाकर जलाई जाती है| यह पीतल और चांदी के बने हुए होते हैं पर और पांच, सात, इक्कीस, अट्ठाइस या इक्यावन बातीवाले होते हैं| जैसे बनारस में आरती के लिए जो दीपका इस्तेमाल किये जाते हैं वो इक्यावन बाती के ही होते हैं| पर घर के आरती के लिए हम पांच दीपक के पंचप्रदीप ही इस्तेमाल करते हैं| बहुत से लोग मिटटी के दीपक से भी आरती करते हैं या फिर पंचमुखी पीतल के दीप थालीपर रखकर जलाई जाती है और आरती की जाती हैं| अगर कोई इस तरह से आरती के दीपक इस्तेमाल करना चाहे तो भी कर सकता है उस में कोई समस्या तो नहीं है पर आजकल बाजार में कई तरह के अच्छे पीतल और काठ के हैंडल वाले पंचप्रदीप मिल जाते हैं और ऑनलाइन शॉप में भी उपलब्ध है अभी तो| इसलिए अगर आप आरती के लिए पंचप्रदीप लेंगे तो यह हैंडल वाले पांच या सात दीपकापवाले आरती दिया ही ले| बहुत से एक दीपक भी बाजार में आपको मिल जायेगा जो ही आरती के लिए ही हैंडलवाले एक दीपक है| पर अगर आप आरती दीपक खरीदेंगे ही तो आपको पांच बत्तीवाले दीपक ही लेना चाहिए| यह आरती के समय देखने में भी सुन्दर लगता है|
दीपक जलाने के लिए सबसे पहले आप दीपक के लिए बाती बना ले और उसे घी या सरसो, तेल से दीपक में सजा ले| दीपक को हमेसा भगवन के दाहिने ओर यानि आपके बाहिने तरह ही रखिये| पंचप्रदीप या आरती के दीपक को कभी भी दूसरे दीप से न जलाय ओर जहाँ पर भी दीप को रखे तो उसके निचे चावल या पानी से एक त्रिकोण बनाकर उसे स्थापना करे, इसे दीपक को आसान देना कहते हैं| यह आरती पूजा को सुन्दर बनाने का ही एक जरिया है जो आपके आरती के बातावरण को बहुत ही सुन्दर ओर सही बना देता है|
पंचप्रदीप ज्यादातर पीतल के होते हैं इसलिए अगर आप एक बार उससे आरती करते हैं तो उसे अच्छे से मांज कर ओर धोकर ही फिरसे आरती के लिए इस्तेमाल करें| एक बार आरती किये हुए दीपक से दूसरी बार आरती नहीं करना चाहिए क्यों के यह आपको सकारात्मक ऊर्जा प्रदान नहीं करती है फिर इसलिए हमेशा इसे साफ करने के बाद ही दूसरीबार आरती करें|
विशेष कथन :- आरती के पंचप्रदीप हमारे पंच इन्द्रिय के प्रतीक होते हैं ओर उसमें जलनेवाली अग्नि हमारे ह्रदय तेज का प्रतीक होता हैं| अग्नि पंचतत्वों में से एक अग्नि तत्वों होता हैं जिसे तेजः कहा गया हैं| पंचप्रदीप के माध्यम से हम अपने अंतर के तेज को बाहरि रूप में पंचप्रदीप रूप अग्नि से प्रभु चरण में निवेदन करते हैं| यह भक्तियोग का एक अद्भुत उदहारण है जब हमारे पंचतत्वों आरती के अग्नि में निवेदित होकर केवल ईश्वर अनुराग ही शेष रहता है जो हमें एकाग्र ओर शांत करता हैं|
आप ऑनलाइन अमेज़न और फ्लिपकार्ट से भी पंचप्रदीप खरीद सकते हैं|
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