गुरुवार की लक्ष्मीनारायण पूजा आरती [ Lakshminarayan Puja Aarti ]
गुरुवार हम हर घर पे ही लक्ष्मीनारायण की पूजा आरती करते हैं और साथ में आरती भी| आइये जान लेते हैं कि किस तरह से घरपे सहज तरीके से करें श्री लक्ष्मीनारायण जी की आरती पूजा|
सबसे पहले अगर आपके घर पे लक्ष्मीनारायण की मूर्ति हैं तो आप उनमे ही पूजा आरती कर सकते हैं पर अगर आपके घर मूर्ति प्रतिष्ठित नहीं है तो आप लक्ष्मीनारायण की छवि में भी आरती कर सकते हैं| एक चौकी या घरपे एक छोटा सा मंदिर बना ले जो जहा पर आप मूर्ति या छवि रखकर आरती कर सकते हैं| लक्ष्मीनारायण पूजा वैष्णव मत में भी की जाती है इसलिए मंदिर या चौकी पर पीला कपड़ा ही बिछाय नाकि लाल या किसी और रंग का कपड़ा| पूजा में भी पिले रंग का फूल ही इस्तेमाल करें| चौकी और मंदिर में रखे मूर्ति या छवि को अच्छे से फूल से सजाय और माला भी पहनाए| आप पूजा के लिए एक पुष्पपात्र यानि थाली में चन्दन, फूल, अक्षत, तुलसीदल रख ले अगर आपको कमल का फूल मिलता है तो वह भी आप थाली में जरूर रखें| अब घट स्थापना करें, घाट स्थापना के लिए एक पीतल या ताम्बे की कलश को जलपूर्ण कर ले और उसमे सिंदूर से स्वस्तिक का चिन्ह बनाय और आम के पत्ते नारियल से घट को सही जगह पर रखे| घाट स्थापना से पहेले निचे कुछ चावल बीचा दे इसे आसन देना कहते हैं| एक आचमनी पात्र ले लें और उसमे गंगाजल या साधारण जल से पूर्ण कर ले| आचमनी मात्रा में जल डालते समय बोले "ॐ गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती| नर्मदे सिंधु कावेरी जलेहस्मिन सन्निधिं कुरु||" अब इस जलको पूजा के हर सामग्री और अपने माथे पर भी छिड़क दे| इसके बाद 'नमः बिष्णु' कहकर तीनबार आचमन करें| पूजा के लिए धूप और घी या तिल के तेल का दीपक जलाय| दीपकको हमेशा भगवन के दाहिने ओर और धूप को बाहिने तरफ ही रखना चाहिए| अगर आप कुछ प्रसाद या कुछ भोग लगाना चाहें तो आप लगा सकते हैं जैसे बहुत से लोग हलवा या कुछ नारियल के मिठाई का भोग लगाते हैं तो कुछ फल या बतासे का| पर पहले पंचोपचार पूजा करें या धूप अर्चन कर ले उसके बाद ही भोग या प्रसाद लगाए| ॐ नारायणाय नमः और श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः मंत्र का प्रयोग करके ही पूजा की हर वस्तु निवेदन करें| जैसे 'ॐ नारायणाय नमः धूपमाघ्रापयामि' 'श्रीं लक्ष्मी देव्यै नमः दीपम दर्शयामि', इस तरह हर पूजा वस्तु का निवेदन करें| मूलमंत्र के साथ तीनबार पुष्पांजलि दे और शंख ध्वनि करते हुए आरती करें| धूप, गुग्गुल से पहले आरती करें, फिर घी के पंचप्रदीप से और फिर कपूर और शंखजल से| हर बार आरती करने के बाद अपना हैट जरूर धो ले और हर वस्तुको निवेदन करके ही आरती करें| जैसे एष धूपः श्री लक्ष्मीनारायण नमः , एष नीराजनदीपमालाएं नमः श्री लक्ष्मीनारायण नमः| अब संख ध्वनि करके प्रणाम करते हुए पुरे घर में धूप दिखाय और अगर आपके घर में तुसली जी हैं तो उसमे जल चढ़ाकर भी धूप दिखादे| आरती के बाद सबको प्रसाद स्वरुप धूप और पंचप्रदीप की आरती दे और फिर भोग में चढ़ाया हुआ नैवेद्य प्रसाद दे|
ध्यान रखे की धूप हमेशा धुनुची वाले धूप ही जलाय जो जैव और प्राकृतिक धूप किसी भी प्रकार की अगरबत्ती या कृत्रिम धूप न जलाय जो की आपके स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है|
पूजा और आरती सामग्री : १. आसन २. फूल ३. चन्दन ४. अक्षत ५. घी या तेल दिए के लिए ६. धूप ७. गुग्गुल ८. फल ९. बतासा १०. नारियल ११. आम के पत्ते १२. पीतल या ताम्बे की कलश १३. सिंदूर १४. पंचप्रदीप १५. धुनुची १६. जलशंख १७. कपूर १८. आचमनपात्र १९. पुष्प पात्र यानि थाली २०. मिठाई या भोग सामग्री

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