रोज घर पे भोग और आरती कैसे करें? [Roj ghar pe bhog aarti kayse karen]


घर पे वैसे तो हम रोज पूजा करते ही है पर कुछ लोग चाहती है कि वो भगवान को भोग लगाए और साथ ही भोग आरती भी करें| पर उन्हें यह समझ में नहीं आता है कि कैसे भगवान को भोग लगाए और कैसे आरती करें| सबसे पहले यह बात बता देना जरुरी है कि भोग का मतलब पकाया हुआ खाना ही समझते हैं हम पर आप चाहे तो कच्चा भोग भी चढ़ा सकते हैं अगर आपके घर पे अलग से रसोई या भोग बनाने के लिए बर्तन नहीं है तो|

सबसे पहले आप यह समझ ले कि आप भोग में क्या चढ़ाना चाहते हैं, अगर आप एक खाना रोज नहीं खा सकते तो भगवान को भी रोज एक ही खाना चढ़ाना सही नहीं होता है| भोग देना कोई विशेष जरुरी है ऐसा तो नहीं है पर यह भक्त और भगवान के बिच एक भावना होती है कि हम भगवान को भोग लगाकर ही खाना खाते हैं दिन में एकबार ही सही| ज्यादातर हम दोपहर के समय भोग लगाते हैं| पर कुछ लोग जो भोग नहीं लगा पता है समय के या साधन के कारण जो खासकर कामकाजी और फ्लैट में रहते हैं जहा अलग से भोग बनाना मुश्किल होता है, वह भोग में चना, बतासा, मिसरी या शरबत भी चढ़ा सकते है| या फिर फल काटकर भी फल भोग लगाया जा सकता है| भोग अगर आप बना रहें है तो ध्यान में रखें कि पीतल के बर्तन में ही भोग बनाए और पीतल या पत्थर से बने थाली में उसे भगवान को चढ़ाय|

अगर आप वैष्णव मत से पूजा करते हैं यानि कृष्ण, राम, नारायण पूजा में भोग चढ़ा रहे हैं तो आप तुलसी जरूर चढ़ाय| अगर आप शिव पूजा कर रहे हैं तो भोग में बेलपत्ता चढ़ा सकते हैं अगर आप देवीपूजा या दुर्गापूजा के लिए भोग चढ़ा रहे हैं तो उसमें भी बेलपत्ता या फिर लाल फूल चढ़ाकर भोग लगा सकते हैं| अगर आप गणेश पूजा कर रहे हैं तो उसमे दूर्वा चढ़ा सकते हैं| भोग लगाने के बाद आरती करें कुछ लोग सिर्फ कपूर से ही आरती करते हैं तो कुछ धूप और दीप से| भोग आरती के समय बस आरती करने के लिए ही धूप-दीप जलाय भगवान के सामने भोग लगाते समय उसे जलाकर न रखे| कहते हैं भगवान गंध से भोग लगाते हैं इसलिए जब आप कुछ भोग उन्हें चढ़ा रहें है तो उस समय सिर्फ आरती करने के लिए ही धूप-दीप इस्तेमाल करें जलाकर कभी न रखे| आरती के बाद सारे भोग पर जल छिड़क दे और उसे भगवान को ग्रहण करने के लिए अनुरोध करें| इसके बाद प्रणाम करें और कुछ समय बाद उस भोग को ग्रहण करें या अगर आप शाकाहारी है तो अपने खाने में ही उस भोग प्रसाद को मिला दे| भोग में प्याज, लहसुन, मसूर के दाल का इस्तेमाल कभी भी न करें| अगर संभव हो तो घी में ही भोग बनाय नहीं तो सरसो के तेल में भी आप भोग बना सकते हैं| पर बाजार में मिलनेवाले किसी रिफाइन आयल या फिर बनस्पति तेल से भोग प्रसाद नहीं बनाना चाहिए| भोग प्रसाद में कम से कम मसाला उपयोग करें ताकि वो सादा खाना हो| पांच या फिर जितना भी फल आपके पास उपलब्ध हो उसे  काटकर भगवान को भोग लगाकर आरती कर सकते हैं| फल के साथ बतासा देना भी अच्छा होता है अगर आप भोग लगा रहे हैं तो| भोग चढ़ाने के बाद ही आरती करें तभी वह भोग आरती होती है| आरती के बाद भोग चढ़ाने को भोग आरती नहीं कहा जाता|


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