कैसे करें घर पे ही सरल गणेश पूजा आरती [Saral Ganpati pujan vidhi]


श्री गणेश गणों के ईश है अर्थात सबसे ईश्वर, इसलिए उन्हें अपने घर का सदस्य और अपने बंधू दोस्त मानकर ही पूजा आरती करें| गणपति बाप्पा प्यार भावना के भूखे है नाकि सिर्फ सामग्री और उपचार के| बस इस बात का ध्यान रखे कि अगर आप अपने घर पे श्री गणेश की स्थापना करते हैं तो दिन में टिंबर आरती जरूर करें और पुरे घर में भी धूप जरूर करें साथ ही अगर आप अखंड दीपक न भी जला पाए तो घर के बत्ती को न बुझाय| गणपति बाप्पा के लिए मंदिर या चौकी के पास एक गिलास या लोटा में पानी भरके जरूर रख दे| 

अगर आप धातु के गणेश मूर्ति की पूजा कर रहे हैं तो उसे सबसे पहले कच्चे हल्दी से नहलाए और पंचामृत  से अभिषेक जरूर कर ले| अगर आप मिटटी की मूर्ति में ही गणपति आराधना कर रहे हैं तो उसके लिए आप किसी सुपारी को भगवान की मूर्ति मानकर उनकी अभिषेक कर सकते हैं| नहलाने के बाद गणेश जी को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उन्हें बैठा दे और अच्छे से फूल माला से सजा जरूर दे| इसके बाद बाप्पा के दोनों तरफ पीतल या चांदी के दो दीपक जला दे जिसे आप तेल से ही जलाय जिनमें सबसे अच्छा होगा नारियल तेल का इस्तेमाल करना| अगर आप कहें तो दोनों तरफ धुनुची यानि धूपदान में धुप भी जला सकते हैं| इसके बाद कलश स्थापना करें, जिसमे एक कलश को जल से पूर्ण करके उसमे सिंदूर और हल्दी से स्वस्तिक बनके उसमे आम के पत्ते रखे और एक कटोरी अक्षत जिस पर एक नारियल रखे और कलश को गणेश जी की सामने रखते हुए यह प्रार्थना करें कि " हे गणपति महाराज में यह कलश स्थापना करके आपकी पूजा इतने (जितने दिन आप गणसिह जी को घर में रखना चाहेंगे) दिन के लिए करने जा रहे हैं आप कृपया हमारी पूजा और आरती को यहाँ विराजमान होकर स्वीकार करना"| इसके बाद कलश को सही स्थान पर रखते हुए कहे "इदं पूर्ण कलशः स्थिर भव"| कलसज स्थापना के बाद पंच उपचार, सप्त उपचार, दस उपचार या षोडश उपचार में पूजा करें| पूजा के बाद एकबार सम्पूर्ण आरती करें और उसके बाद गणपति बाप्पा को भोग लगाते हुए संक्षिप्त आरती करें| इसके बाद पुरे घर में आरती का धुप और दीप दिखा दे और सबको प्रसाद स्वरुप आरती दे| इसके बाद सबसे पहले आपके घर पे या आसपास जितने भी बचे हैं उन्हें लड्डू या ंदक खिलाय और फिर सबको भोग प्रसाद बांटेते हुए खुद भी प्रसाद ग्रहण करें| 

गणेश पूजा में संध्या के समय भी एकबार आरती जरूर करें और धुप दीप से आरती करते समय गणपति आरती भी आप गए सकते हैं| पूजा में या आरती में अगरबत्ती बिलकुल न जलाय केवल धुनुची धूप ही जलाय और दीपक तिल के तेल या नारियल तेल से ही जलाय| जितने दिन आप गणपति को अपने घर रखेंगे उस दौरान सुबह मंगल आरती दोपहर को भोग आरती और संध्या को संध्या आरती जरूर करें| अगर आप सुबह मंगल आरती न कर पाए तो दस बजे से पहले पूजा करके पूजा आरती भी कर सकते हैं| गणपति पूजन में अगर आपको बहुत से फल नहीं भी मिलता है तो काम से काम एक नारियाल जरूर पूजा के समय गणपति बाप्पा को चढ़ाय|

विशेष : गणपति पूजन के मूल मंत्र है "ॐ गं गणेशाय नमः" या "ॐ श्री श्री सिद्धिदाता गणेशाय नमः"| इस मंत्र का प्रयोग करते हुए ही हर उपचार निवेदन करें, जैसे "एष धूपः ॐ गं गणेशाय नमः"|

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